अब असम के सरकारी मदरसे सामान्य विद्यालय में होंगे परिवर्तित, हिमन्ता सरमा ने खत्म की तुष्टीकरण वाली शिक्षा प्रणाली

मदरसों पर किये जाने वाले व्यय से अब आधुनिक शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

असम

(pc- DH)

शिक्षा के मंदिर में धार्मिक उन्माद के लिए कोई स्थान नहीं है। लेकिन वर्षों के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के कारण शिक्षा से ऊपर धार्मिक ठेकेदारों की खुशामद करने को प्राथमिकता दी जाती रही है। परंतु असम की वर्तमान सरकार के लिए अब ऐसा और नहीं चलेगा। उन्होंने एक नया विधेयक निकालने लाने निर्णय किया है, जिसके अंतर्गत सभी सरकार प्रायोजित मदरसे अगले वर्ष 1 अप्रैल से निष्क्रिय हो जाएंगे।

असम के स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री हिमन्ता बिस्वा सरमा ने हाल ही में प्रेस से बातचीत में बताया कि उनकी सरकार जल्द ही एक विधेयक लाने वाली है, जिसके अंतर्गत सभी सरकार प्रायोजित मदरसों को 1 अप्रैल 2021 से तत्काल प्रभाव से निष्क्रिय कर दिया जाएगा। इसके अलावा इन मदरसों को आम विद्यालयों में परिवर्तित करने पर भी जोर दिया जाएगा।

प्रेस से वार्ता के दौरान हिमन्ता ने बताया, “यह बिल निजी मदरसों को बंद करने के लिए नहीं है। लेकिन जो सरकार प्रायोजित मदरसे हैं, उन्हे अब आम विद्यालयों में परिवर्तित करने का समय आ चुका है। ये मदरसे अब प्राथमिक स्कूल, हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल्स में परिवर्तित होंगे। इनमें काम करने वाले लोगों के वेतन और खर्चों में कोई बदलाव नहीं होगा।”

लेकिन हिमन्ता यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “कुरान को पढ़ाने के लिए राज्य का पैसा नहीं खर्च किया जा सकता। यदि पढ़ाना ही है, तो केवल कुरान क्यों, बाइबल और भगवद गीता भी साथ साथ पढ़ाई जाए। इसीलिए सभी विद्यालयों को समान दर्जा देने हेतु हमने ये कदम उठाया है।”

इसी वर्ष अक्टूबर में हिमन्ता ने स्पष्ट संकेत दिए थे कि सरकार प्रायोजित संस्कृत विद्यालय और मदरसों को जल्द ही निष्क्रिय किया जाएगा। इसके पीछे की मंशा स्पष्ट थी कि असम सरकार अपने खर्चे पर धर्म का प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उससे भी ज्यादा अहम बात यह थी कि जिस राज्य में दशकों से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर मदरसों पर राज्य का पैसा पानी की तरह लुटाया जाता रहा, उसे खत्म करते हुए सरकार ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं।

सरकार केवल इतने पर ही सीमित नहीं है। उन्होंने अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर असामाजिक तत्वों को दी जा रही शह पर भी लगाम लगाने की घोषणा की है, फिर चाहे वो लव जिहाद के दोषी हों, या फिर आतंकवाद को बढ़ावा देने के समर्थक। हिमन्ता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में असम सरकार ने सिद्ध किया कि यदि सरकार ठान ले, तो राज्य में एक भी असामाजिक तत्व अपराध करना तो छोड़िए, चैन से जी भी नहीं पाएगा।

 

Exit mobile version