‘विचारधारा बाद में, विकास पहले’, AMU के छात्रों को PM मोदी का संदेश

कट्टरपंथी विचारधारा को पीछे छोड़ देश हित के लिए आगे बढ़े

देश के कई ऐसे विश्व विद्यालय हैं जहां से कुछ असामाजिक तत्व देश विरोधी इस्लामिक एजेंडा चलाने की कोशिश करते रहते हैं, ताज्जुब की बात है कि वो लोग कई बार कामयाब भी हो जाते हैं। इस स्थिति को बदलने का बीड़ा अब देश के सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठा लिया है। पहले जेएनयू और फिर अब इस्लामिक कट्टरता का गढ़ बन चुके अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को संबोधित करके PM ने सरकार के एकता के सूत्र का प्रसार किया है जिससे एक ही तबके की विचाराधारा तक सीमित रहने वाली संस्थाओं में परिचर्चा की सकारात्मक स्थितियां बन सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिवर्सिटियों की छवि बदलने के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए AMU के छात्रों को संबोधित किया है। इस दौरान उनके साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद थे। ये मौका पिछले 56 सालों में पहली बार आया है कि जब देश के किसी पीएम ने AMU को संबोधित किया हो।

पीएम मोदी ने इस दौरान कहा, “हम सबका लक्ष्य है देश को आत्मनिर्भर बनाना। समाज में वैचारिक मतभेद तो स्वभाविक है, लेकिन राष्ट्र के लक्ष्य प्राप्ति में हमें सारे मतभेदों को किनारे कर देना चाहिए। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अगर हमें AMU के सुझाव मिलेंगे तो खुशी होगी।”

पीएम मोदी ने अपनी-अपनी विचारधाराओं को राष्ट्रहित के मामले में किनारे करने की बात कही जिससे देश को प्रगति के पथ पर तेजी से दौड़ाया जा सका।

उन्होंने कहा, “जब हम नए भारत की बात करते हैं तो उसके मूल में भी यही है कि राष्ट्र के विकास को राजनीतिक चश्मे से न देखा जाए। हालांकि कुछ तत्व इससे परेशान हो सकते हैं, लेकिन वे ऐसे लोग हैं जो अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए हर प्रकार की नकारात्मकता फैलाएंगे।”

खास बात ये है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इसी साल नवंबर में देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जेएनयू में बनी स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करते हुए वहां छात्रों को संबोधित किया था। PM जिस विचारधारा का जिक्र AMU में कर रहे हैं, कुछ ऐसा ही जिक्र उन्होंने जेएनयू में भी किया था। उन्होंने राष्ट्रवाद को किसी भी तरह की विचारधारा से सर्वोपरि बताया। उन्होंने देश के लिए काम करने की इच्छाशक्ति को किसी भी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग बताया।

PM मोदी JNU और AMU के जरिए ऐसे विश्विद्यालयों को संबोधित करने या उनमें जाने की शुरुआत कर चुके हैं, जहां सरकार विरोध के नाम पर सरकार की सकारात्मक नीतियों का भी विरोध किया गया है। खास बात ये है कि इन सभी विश्वविद्यालयों में इस्लामिक कट्टरता या वामपंथ ने अपनी जड़ें फैला रखी है और ये ही लोग छात्रों को बेवजह आक्रोशित करते हैं जिससे माहौल बिगड़ता है।

ऐसे में प्रधानमंत्री इन विश्वविद्यालयों में जाकर विचारधाराओं को परे रखकर देश हित की भावना से काम करने की बात कर रहे हैं जिससे इन विश्वविद्यालयों की छवि पर लगा देश विरोधी, और कट्टरता का गढ़ होने का धब्बा हट सके, और PM मोदी का खुद इस मुद्दे पर इतना एक्टिव होना ये भी जाहिर करता है कि असल में वो इस मुद्दे पर कितना ज्यादा सक्रिय हैं।

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