पिछले कुछ वर्षों में भारत और सऊदी अरब के बीच निकटता कई गुना बढ़ी है और इसका कारण दोनों देशों के राजनीतिक नेताओं द्वारा की गई उच्च-स्तरीय यात्राओं की संख्या है। अब भारत सऊदी अरब से राजनीतिक या आर्थिक ही नहीं बल्कि रणनीतिक और मिलिटरी संबन्धों को भी बढ़ाने की पहल शुरू करने जा रहा है।
सेना प्रमुख एमएम नरवणे अगले सप्ताह सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा करने जा रहे हैं। यह खबर न सिर्फ पाकिस्तान के संबन्धों के लिए खतरा है बल्कि उसके अस्तित्व के लिए भी खतरा है।सेना प्रमुख एमएम नरवाने भारत के पहले सेना प्रमुख होंगे जो सऊदी अरब की यात्रा पर जाएंगे। पहली यात्रा के दौरान जनरलनरवणेसऊदी नेशनल डिफेंस कॉलेज को भी संबोधित करेंगे।
आज भारत-सऊदी के बीच सहयोग तेल-ऊर्जा व्यापार के पारंपरिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। इसके बजाय अब रक्षा, समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, रणनीतिक तेल भंडार, निवेश, पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों पर भी दोनों देश के नेतृत्व अब काम कर रहे हैं। इसी कारण से भारत और सऊदी के बीच मिलिटरी सहयोग में सेना प्रमुख की यात्रा महत्वपूर्ण है। यही नहीं सऊदी सहित कई अरब देश भारत से डिफेंस उपकरण खरीदना चाहते हैं।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, “कतर, UAE और सऊदी अरब सहित खाड़ी क्षेत्र के देशों ने भारत और रूस के सहयोग से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि व्यक्त की है। COVID-19 के कारण वैश्विक लॉकडाउन के वजह से वार्ता अभी भी प्रारंभिक चरण में है।”
साथ ही UAE ने भारत के साथ रक्षा सहयोग समझौते किए हैं और Indian Ordnance Factories से UAE की सेना को गोला-बारूद की आपूर्ति करने के लिए एक समझौता किया है। खाड़ी देश ने ‘मेड इन इंडिया’ आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली में भी रुचि दिखा रहे है। यानि रक्षा क्षेत्र में इन देशों के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत हो रहे हैं।
वहीं भारत लगातार वैश्विक मंचों पर सऊदी अरब का समर्थन कर रहा है। इसी मंगलवार को भारत ने संयुक्त राष्ट्र में 23 नवंबर को सऊदी अरब के तेल भंडार पर ईरान समर्थित यमनी विद्रोहियों द्वारा किये गए मिसाइल हमले की निंदा की थी। भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक संबद्ध तब से और बढ़े हैं जब से क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले वर्ष फरवरी में भारत के साथ NSA स्तर पर एक “व्यापक सुरक्षा संवाद” के गठन के लिए और आतंकवाद-रोधी आतंकवाद पर संयुक्त कार्यदल की स्थापना के लिए समझौता किया था।
अब दोनों देशों के बीच यह सहयोग मिलिटरी सहयोग तक आ चुका है। यह भारत की विदेश नीति की एक और उपलब्धि ही कही जाएगी। जनरल नरवणे की यात्रा से इन संबंधों के, नई ऊंचाई पर पहुंचने की आशा है। भारत और अरब देशों के बीच, खास कर सऊदी अरब के साथ बढ़ते संबन्ध पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है। एक तरह से पाकिस्तान ने अपने संबंध सऊदी अरब और UAE के साथ खराब कर लिए है और अब भारत के साथ सऊदी के मिलिटरी संबंध होना पाकिस्तान के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा कर देता है।
अब सऊदी न तो पाकिस्तान के कहने पर भारत के आंतरिक मुद्दो पर विचार व्यक्त करता है और न ही पाकिस्तान का समर्थन करता है।अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर यही स्थिती देखने को मिली थी। इसके उलट सऊदी अरब पाकिस्तान को जब मन करे लताड़ लगता रहता है। कुछ दिनों पहले ही उसने पाकिस्तान को दिए लोन की भरपाई के लिए पाकिस्तान को मजबूर कर दिया था।
ऐसे में भारत के अरब देशों के साथ रक्षा क्षेत्र और बढ़ते मिलिटरी सहयोग, पाकिस्तान के लिए और मुश्किलें पैदा करने वाले हैं।