जानिए, कैसे भारत का आईटी सेक्टर आज पूरी दुनिया पर राज करने को है तैयार

यूरोप की बड़ी-बड़ी कंपनियों को कर्मचारियों समेत अधिग्रहित कर रही हैं भारतीय कंपनियां

भारत

भारत की IT कंपनियां यूरोप की बड़ी कंपनियों को खरीद रही हैं। यह भारत के बढ़ते IT उद्योग की क्षमता को दर्शाता है कि यूरोपीय कंपनियों के सारे अधिकार भारतीय IT कंपनियों द्वारा खरीदी जा रही हैं। विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद से भी भारतीय कंपनियों की यह सफलता बताती है कि अर्थव्यवस्था की धीमी गति का उनपर कोई असर नहीं पड़ा है। इनमें सबसे प्रमुख उदाहरण बेंगलुरु की कंपनी WIPRO का है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक WIPRO जर्मनी की METRO AG को खरीद रही है। डील के तहत तकनीक के हस्तांतरण के अलावा Wipro को जर्मन IT कंपनी द्वारा 1 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू हासिल होने की संभावना है। इतना ही नहीं, यह भी अनुमान है कि जर्मन कंपनी की भारत, जर्मनी और रोमानिया में जो अचल संपत्ति है तथा 1300 कर्मचारी कार्यरत हैं, वे भी Wipro के अधीन हो जाएंगे। अनुमानतः यह डील शुरुआत के पांच सालों में 700 मिलियन डॉलर का लाभ देगी और अगले वर्षों में इसमें बढ़ोतरी ही होगी।

यह Wipro की साल की दूसरी बड़ी डील है। इसके पहले जुलाई में भी Wipro ने बेल्जियम की एक कंपनी, 4C को खरीदा था जो यूरोप के अलावा पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बड़े saleforce partner के रूप में कार्य कर रही थी। 68 मिलियन यूरो में हुई डील WIPRO के लिए अत्यंत लाभकारी है।

हम आसान भाषा में समझें तो Saleforce partner मार्केटिंग क्लाउड के जरिये व्यापारिक कंपनियों को, अपने कस्टमर को बेहतर सुविधा देने में मदद करते हैं, जिससे उनके लिए व्यापार लाभप्रद हो। अपने व्यापार से संबंधित जानकारियां, कस्टमर से संवाद आदि के लिए बेहतर ऑनलाइन सर्विस उपलब्ध कराने में इनकी भूमिका होती है।

महत्वपूर्ण यह है कि Wipro ने 2016 में इसी क्षेत्र में काम करने वाली अमेरिकी कंपनी Appirio को खरीद लिया था। इसके कारण वह पहले ही अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़े saleforce partner के रूप में काम कर रहा है, और अब 4C के साथ समझौते ने उसके लिए यूरोप, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में भी रास्ते खोल दिये हैं।

यह दिखाता है कि WIPRO पूरी दुनिया में क्लाउड मार्केटिंग का अपना इकोसिस्टम तेजी से फैला रहा है। ऐसे में जर्मन कंपनी METRO AG के साथ हुआ अधिग्रहण का समझौता बताता है कि WIPRO अब यूरोप के saleforce service के बाजार में कब्जा जमाने की तैयारी में है. कंपनी की ओर से बयान में कहा गया है- “यह अधिग्रहण Wipro को, इन बाजारों में saleforce solution उपलब्ध कराने वाली प्रमुख कंपनी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।”

हाल ही में टाटा कंसल्टेंसी सर्विस ‘TCS’ ने Postbank system AG नाम की डच कंपनी को खरीदा था। यह कंपनी डच बैंकों को तकनीकी मदद देने का कार्य करती है। इसके 1500 कर्मचारी TCS के साझीदार के रूप में कार्य कर रहे हैं। TCS का उद्देश्य उस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को सुदृढ़ करना है जिससे आने वाले समय में विस्तार की संभावना बढ़ सके। महत्वपूर्ण यह है कि TCS ने 1500 कर्मचारियों को केवल वेतनभोगी कर्मचारियों के रूप में नहीं, बल्कि कंपनी के व्यापार को बढ़ाने के लिए एक साझीदार के रूप में देखा। यह रवैया इन बाजारों में भारतीय IT कंपनियों की छवि के लिए बहुत लाभकारी है।

इसके अलावा TCS ने आयरलैंड की कंपनी Pramerica की आर्थिक इकाइयों एवं उसके कर्मचारियों का भी अधिग्रहण किया है। यह कंपनी भी आयरलैंड में इंश्योरेंस सेवाओं से जुड़ी है। इससे TCS को न सिर्फ आयरलैंड बल्कि UK, अमेरिका और यूरोप के अन्य हिस्सों में भी ग्राहकों तक पहुंचने के अवसर मिलेंगे। TCS के कीर्तिवासन ने भी अपने बयान में कहा था कि आयरलैंड की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि वह डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसका मतलब यह है कि इस निवेश के जरिये TCS के लिए यूरोप में नए आर्थिक अवसर खुलेंगे।

यह शताब्दी भारतीयों की है और भारत की कंपनियां इसे सच साबित कर रही हैं। वृहद भारतीय बाजार से लाभ कमाकर ये कंपनियां दुनिया में परचम लहराने के लिए आगे बढ़ रही हैं। एक भारतीय के लिए यह गर्व का विषय होना चाहिए कि भारतीय कंपनियों का वैश्विक व्यापार में दबदबा बढ़ रहा है। वर्ष 2020 ने इस कार्य को और तेज ही किया है।

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