चीन के संभावित खतरे के खिलाफ, भारत भी करेगा ब्रह्मपुत्र पर विशाल डैम का निर्माण

भारतीय नीति अब बदल चुकी है, हर नापाक इरादों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है

ब्रह्मपुत्र

चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी के एक हिस्से पर बांधों के निर्माण की खबर आते हुए भारत तुरंत एक्शन में आ चुका है और ब्रह्मपुत्र नदी पर ही एक 10-गीगावाट (GW) जलविद्युत परियोजना के निर्माण की योजना पर विचार कर रहा है।

Reuters ने भारतीय अधिकारी के हवाले से बताया कि चीन के बांध बनाने प्रतिक्रिया में भारत भी ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने जा रहा है। बता दें कि ब्रह्मपुत्र को चीन में यारलुंग त्सांग्पो के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय अधिकारियों को चिंता है कि चीनी परियोजनाएं “फ्लैश फ्लड” को ट्रिगर कर सकती है या पानी की कमी पैदा कर सकती हैं। यही कारण है कि भारत ने त्वरित कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत के जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी टीएस मेहरा ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अरुणाचल प्रदेश में चीनी बांध परियोजनाओं के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए बांध बनाना आज के समय की आवश्यकता है।

मेहरा ने कहा, “सरकार के उच्चतम स्तर पर बांध बनाने पर विचार किया जा रहा है।” भारत के इस योजना के बाद चीनी बांधों से ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह के प्रभाव कम हो सकेगा और एक विशाल जल भंडारण क्षमता का निर्माण होगा।

पिछले कई महीनों से भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंध हाशिये पर चल रहें हैं और बॉर्डर पर तनाव बढ़ा हुआ है। ऐसे में चीन का अचानक से बांध की खबर के बाद भारत तुरंत एक्शन मोड में आ गया है।

कुछ विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि ब्रह्मपुत्र को नुकसान पहुंचाना संभावित रूप से एक और फ्लैशप्वाइंट में विकसित हो सकता है, क्योंकि बीजिंग की बांध निर्माण गतिविधियां भारतीय सीमा के बेहद करीब होने वाली है।

सोमवार को, चीनी मीडिया ने बताया कि चीनी सरकार ब्रह्मपुत्र पर 60 गीगावॉट क्षमता तक के डैम का निर्माण कर सकती है। एक उद्योग सम्मेलन में बोलते हुए, चीन के सरकारी स्वामित्व वाले पावर कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन के अध्यक्ष Yan Zhiyong ने कहा कि नदी को बांधने की योजना एक “ऐतिहासिक अवसर” था।

उन्होंने कहा कि “औपचारिक रूप से, हमने चीनी सरकार से कहा है कि आप जो भी परियोजना शुरू करे उसका भारत पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया है, लेकिन हम नहीं जानते कि उनका आश्वासन कब तक चलेगा।“

अगर पिछले एक दो दशकों को देखा जाए तो एशिया की बड़ी नदियों पर पनबिजली परियोजनाएं क्षेत्रीय तनावों का एक बड़ा कारण रही हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में, चीन ने ऐसी कई परियोजनाओं के जरिये उत्पात मचाया है। उसने मेकांग पर तो बांध बना कर डाउनस्ट्रीम देशों जैसे लाओस, वियतनाम, कंबोडिया और थाईलैंड में सूखे जैसी स्थिति  पैदा कर दी है। Eyes on Earth नाम की एक रिसर्च कंपनी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि इन सभी देशों में बहने वाली मेकोंग नदी का जल स्तर 50 सालों के निम्न स्तर पर आ चुका है, जिसके कारण इन देशों में किसानों को बड़ी तबाही का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ तक कि कुछ जगहों पर तो यह नदी सूखने की कगार पर पहुँच चुकी है। और इसका एक ही कारण है: चीन द्वारा इस नदी पर बनाए जा रहे एक के बाद एक बांध!

अब चीन की नजर भारत के ब्रह्मपुत्र नदी पर है। हालांकि, वह पहले ही कई छोटे-छोटे बांध बना चुका है लेकिन इस बार जो घोषणा हुई है वह चीन के Three George Dam से भी बड़े डैम की है। पिछले दस वर्षों में, चीनी ने 24 किमी की दूरी में 3 बांधों का निर्माण किया है, जो सभी अरुणाचल प्रदेश के पास स्थित हैं। अब अगर वहाँ बड़ी क्षमता का बांध बनाया गया जहां यारलुंग भारत में प्रवेश करने से पहले दक्षिण की ओर मुड़ता है और जहां नदी को पानी की पर्याप्त मात्रा मिलती है तो यह नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय है।

हालांकि, यह क्षेत्र भी भौगोलिक रूप से अस्थिर है, जिससे संभावित बांध का निर्माण चुनौतीपूर्ण है पर इससे इंकार नहीं किया जा सकता। परंतु अब भारत भी बांध बनाने के विषय पर विचार कर रहा है। मोदी सरकार ने उत्तर पूर्व के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं और सुरक्षा को मजबूत किया है। अब इस बांध के माध्यम से चीन के बांध से होने वाले खतरे से भी निपटने के लिए जल्द से जल्द एक्शन की उम्मीद है।

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