उंगली पकड़के पहुँचा पकड़ना तो कोई ईरान से सीखे। जहां उन्हें अमेरिका में सत्ता परिवर्तन की संभावना दिखी और बाइडन का पलड़ा दिखा, उन्होंने एक बार फिर अपनी हेकड़ी दिखाते हुए कट्टर अमेरिका विरोधी और समाजवादी देश वेनेजुएला को 10 टैंकर तेल सहायता के रूप में भिजवाए हैं।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, “ईरान अमेरिका को ठेंगा दिखाते हुए वेनेजुएला को अपने तेल टैंकरों की सबसे बड़ी खेप भेजी है। वह इस अलग-थलग पड़ चुके देश [वेनेजुएला] को ईंधन की समस्या से लड़ने के लिए काफी तेल भेज रहा है। इतना ही नहीं, 10 ईरानी जहाजों का खेमा तेल प्रदान करने के बाद वेनेजुएला के कच्चे तेल को भी निर्यात करने में सहायता करेगा। ये बात इस प्रोजेक्ट से जुड़े कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पे बताई है, क्योंकि ये गतिविधियां अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।”
अब आप सोच रहे होंगे कि भला वेनेजुएला से ईरान के आदान-प्रदान में अमेरिका को क्या समस्या होगी? दरअसल दोनों ही ऐसे देश हैं, जिनपर अमेरिका ने विभिन्न कारणों से आर्थिक पाबंदियाँ लगाई हैं। वेनेजुएला में वर्षों के समाजवाद के कारण स्थिति ऐसी हो चुकी है कि जो देश कभी अमेरिका को सबसे सस्ते दाम पे कच्चा तेल उपलब्ध कराता था, वह आज एक बूंद तेल भी उत्पन्न नहीं कर सकता।
वेनेजुएला में तेल की भारी कमी है, लेकिन अमेरिका की कार्रवाई के डर से कोई भी देश उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहा था, चीन और रूस भी नहीं। तो ईरान के अंदर इतनी हिम्मत कहाँ से आई? दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प इस समय पिछड़ गए हैं, और जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने की संभावना अधिक है। ऐसे में ईरान ने बाइडन के सत्ता ग्रहण करने से पहले ही अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।
अब ईरान के तेवर कैसे हैं, इसका अंदाज़ा आप उसके वर्तमान गतिविधियों से ही लगा सकते हैं। टैंकरों को किस तरह से अमेरिका की आँखों में धूल झोंकते हुए वेनेजुएला पहुंचाया गया, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए अल जज़ीरा की रिपोर्ट में बताया गया है, “इस वर्ष जितने भी जहाजों ने वेनेजुएला को तेल पहुंचाया है, विशेषकर ईरानी जहाज़ों ने, उन्होंने दस दिन पहले अपने सॅटॅलाइट सिग्नल बैन कर दिए थे, जैसा कि ब्लूमबर्ग टैंकर ट्रैकिंग डेटा की टीम ने बताया। अपने ट्रांसपॉन्डर बंद करना एक सरल पर कारगर तरीका होता है अमेरिकी जहाजों की निगरानी से बचने के लिए। इसके अलावा जहाजों के नाम और उनके प्रतीक की बार बदले गए थे”।
अब इन तथ्यों से आप भली-भांति समझ सकते हो कि ईरान किस प्रकार से अमेरिका को खुलेआम चुनौती दे रहा है। हाल ही में मोहसिन फाखरीज़ादेह की हत्या के लिए उन्होंने इज़राएल के साथ-साथ ट्रम्प सरकार को भी दोषी ठहराया था। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बाइडन के रहते उन्हे कोई हाथ भी नहीं लगा पाएगा।
लेकिन ईरान इस बार बहुत बड़ी गलती कर रहा है, क्योंकि बाइडन को जैसे दिखाया जा रहा है, वैसे वे शायद हैं नहीं। उम्मीदों के विपरीत उन्होंने स्पष्ट किया है कि चीन पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों पे वे सत्ता में आते ही कोई एक्शन नहीं लेंगे, और ऐसे में यदि ईरान ने जरूरत से ज्यादा हेकड़ी दिखाई, तो अमेरिका उसकी धुलाई करने से पीछे भी नहीं हटेगा।