क्या दादा BJP में शामिल होने जा रहे हैं? सौरव गांगुली और राज्यपाल की मुलाक़ात तो यही संकेत दे रही

सौरव गांगुली

हाल ही में BCCI के अध्यक्ष और पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम कप्तान सौरव गांगुली ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से उनके राज भवन स्थित आवास पर दो घंटे तक मुलाकात की। जिस प्रकार से उन्होंने इतने लंबे समय तक बंगाल के राज्यपाल से मुलाकात की, उससे एक बार फिर सौरव गांगुली के राजनीति में आने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि वो इसपर कुछ स्पष्ट कहने से बचते नजर आये। उन्होंने कहा, “अगर राज्यपाल आपसे मिलना चाहते हैं तो आपको उनसे मिलना पड़ेगा।”

ऐसे में तृणमूल कांग्रेस के लिए ये गतिविधियां चिंताजनक मानी जा रही है, क्योंकि यदि क्रिकेट के ‘दादा’ वाकई में राजनीति, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी जॉइन करते हैं, तो ये लड़ाई ‘दादा बनाम दीदी’ हो जाएगी, जिसका विजेता कौन होगा, किसी को अंदाजा लगाने की आवश्यकता नहीं है।

सौरव गांगुली “राज्यपाल ने कहा कि वे बंगाल में पिछले एक साल से हैं, और वे ईडेन गार्डेन्स आकर मुझसे मिलना चाहते हैं। कृपया अफवाह फैलाएँ, अभी राज्यपाल जी द्वारा ईडेन गार्डेन्स देखना बाकी है”।

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जहां सौरव गांगुली ने राजनीति पर अपने विचार व्यक्त करने से मना किया, तो वहीं उन्होंने यह भी नहीं कहा कि वे राजनीति में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे निस्संदेह अब तृणमूल कांग्रेस के हाथ पाँव फूलने की नौबत आ जाएगी क्योंकि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि बंगाल का अगला मुख्यमंत्री एक ‘भूमिपुत्र’ होगा।

ऐसे में यदि सौरव गांगुली वास्तव में भाजपा को जॉइन करते हैं, तो ये भाजपा के लिए सोने पर सुहागा होगा। वैसे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उन्हे अपना उम्मीदवार खड़ा करने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है, परंतु एक सशक्त स्थानीय चेहरा उनके लिए एक अतिरिक्त लाभ ही होगा। इसके अलावा सौरव गांगुली जिस प्रकार से बंगाल में लोकप्रिय है, उसपर तृणमूल काँग्रेस का कोई भी विरोधी दांव ममता बनर्जी के लिए घातक ही सिद्ध होगा।

ऐसे में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल से मुलाकात के पश्चात सौरव गांगुली को मीडिया के अनगिनत सवालों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अगर वे राजनीति में वाकई सक्रिय होंगे, तो वे निस्संदेह कोई  भी ऐसा निर्णय नहीं लेंगे जो उनके लिए या बंगाल की जनता के लिए हानिकारक सिद्ध हो।

 

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