न्यूजीलैंड की PM जेसिंडा ने किया साबित, उनकी निष्ठा अपने सहयोगियों से ज्यादा चीन के प्रति है

Five Eyes Group ने न्यूजीलैंड और कनाडा को दिया था अंतिम मौका, जिसे न्यूजीलैंड ने गंवाया

न्यूज़ीलैंड

(pc-ABC)

अनुमान के मुताबिक ही न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न स्कॉट मॉरिसन, बोरिस जॉनसन, डॉनल्ड ट्रंप की Five Eyes Group की निष्ठा की परीक्षा में फेल हो गई हैं। चीन पूरी दुनिया और खासकर आस्ट्रेलिया के साथ अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण ट्रेड वॉर कर रहा था। ऐसे में ये सभी चाहते थे कि पांच देशों का एक समूह चीन के खिलाफ खड़ा हो, हालांकि जेसिंडा अपने संकेत साफ कर दिए कि वो चीन के सिपहसलार बनी रहेंगी।

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा ने अपने सहयोगी देश ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के खिलाफ खड़े होने से साफ इनकार कर दिया है। अजीब बात यह है कि सहयोग करने की बजाय न्यूजीलैंड ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच मध्यस्थता की बात कर रहा है। न्यूजीलैंड की विदेश मंत्री ननिया महुता ने कहा कि अगले साल वेलिंगटन में होने वाला APEC सम्मेलन असल में चीन और आस्ट्रेलिया के लिए एक अच्छे मौके की तरह होगा, क्योंकि इस दौरान दोनों ही देश बातचीत की टेबल पर होंगे।

महुता ने कहा, “दोनों देशों को बातचीत करनी होगी। APEC को होस्ट करने के कारण हम आस्ट्रेलिया और चीन के बीच चल रही तनातनी को खत्म करने में बातचीत के जरिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।” इसके इतर एक अजीबोगरीब बात यह भी है कि IPAC के सदस्य देशों ने सार्वजनिक पत्र लिखकर कहा कि इस मुश्किल समय में सभी देशों को समर्थन व्यक्त करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के साथ खड़े होना चाहिए। जिसमें न्यूजीलैंड  ने हस्ताक्षर भी किए हैं।

इसके बावजूद न्यूजीलैंड आस्ट्रेलिया और चीन के बीच मध्यस्थता की बात कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस मुश्किल वक्त में न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न को ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश करने के बजाए ऑस्ट्रेलिया के साथ खड़े होना चाहिए था, और सिर्फ इसलिए नहीं कि IPAC ने ऑस्ट्रेलिया का समर्थन किया है बल्कि इसे न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्ते से भी जोड़कर देखा जाना चाहिए।

आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आए दिन चीन को लेकर साझा बयान देते रहते हैं। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के रिश्तों की बुनियाद प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की है जिसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध हमेशा ही सकारात्मक रहे हैं। वेलिंगटन और कैनबरा दोनों एक जैसे ही हैं क्योंकि दोनों ने ब्रिटिश उपनिवेश का दंश सहा है।

दोनों देशों की इस दोस्ती के बावजूद न्यूजीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया के साथ चीन के मुद्दे पर खड़े होने से साफ इनकार कर दिया है, न्यूजीलैंड को ऑस्ट्रेलिया में चीन के बढ़ते प्रभाव से किसी भी प्रकार का फर्क नहीं पड़ रहा है बल्कि वह दोनों के बीच मध्यस्थता की लीपापोती कर रहा है। इसलिए जेसिंडा आर्डर्न ने फाइव आइज समूह को और अधिक कमजोर कर दिया है, क्योंकि चीन के प्रति उन्होंने फिर एक बार अपना प्रेम जाहिर कर दिया कुछ ऐसी ही स्थिति कनाडा के जस्टिन ट्रूडो की भी है जो लगातार चीन से प्रेम जाहिर करते रहते हैं और ये फाइव आइज समूह के खूफिया तंत्र को धीरे-धीरे खोखला कर रहे हैं।

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