India और Japan मिल कर बना रहे एक ऐसा विशाल Corridor जो India, Vietnam,Laos और Japan को जोड़ेगा

चीन के BRI के जवाब के रूप में देखे जाने वाले इस Corridor को भारत ने दिखाई हरी झंडी

CORRIDOR

भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बनने वाले 19 किमी लंबे धूबरी-फुलबरी पुल को मंजूरी दे दी है, जिसके बनने के बाद अब भारत और जापान की संयुक्त परियोजना Trans-Asian Corridor के तहत भारत के पूर्वोत्तर और भूटान को वियतनाम से जोड़ा जा सकेगा! धूबरी असम में पड़ता है तो वहीं फुलबरी मेघालय में। यह 19 किमी लंबा पुल भारत-म्यांमार थाईलैंड त्रिपक्षीय हाईवे प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है, जिसे नई दिल्ली ही फंड कर रही है।

भारत और जापान मिलकर दक्षिण-पूर्व एशिया में तेजी से अपने इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ा रहे हैं ताकी क्षेत्र में चीन की BRI परियोजना को चुनौती दी जा सके। भारत अपनी Act East नीति और जापान अपनी Free and Open Indo-pacific नीति के तहत क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं, जो जल्द ही क्षेत्र में इन दो देशों के आर्थिक प्रभाव को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।

बता दें कि भारत और जापान दो अलग-अलग प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ा रहे हैं और बाद में इन दोनों प्रोजेक्ट्स को आपस में मिलाकर Trans-Asian Corridor स्थापित किया जाएगा। भारत जहां एक तरफ म्यांमार के रास्ते थाईलैंड तक एक हाइवे परियोजना का निर्माण कर रहा है तो वहीं जापान अपने EAST-WEST ECONOMIC CORRIDOR के तहत वियतनाम के Da Nang से Laos से होते हुए थाईलैंड तक एक अलग परियोजना पर काम कर रहा है। थाइलैंड में आकर इन दो परियोजनाओं को जोड़ दिया जाएगा जिससे वियतनाम से लेकर भारत के पूर्वोत्तर तक सीधा सड़क मार्ग व्यापार के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकेगा।

इतना ही नहीं, बीच में म्यांमार और थाइलैंड जैसे देशों में इस परियोजना को कई Ports से भी जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए थाइलैंड के Laem Chabang पोर्ट और म्यांमार के Yangon पोर्ट को भी इस परियोजना से जोड़ा जा सकता है। यह इन देशों की चीन पर आर्थिक निर्भरता को भी काफी हद तक कम करेगा, और दक्षिण पूर्व एशिया के बाज़ार को सीधे तौर पर भारतीय बाज़ार से जोड़ने का काम करेगा। इसके बाद यह भी अनुमान है कि भारत के पूर्वोत्तर में व्यापारिक गतिविधि और टूरिज़म में बढ़ावा देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो देश का पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकेगा।

पूर्वोत्तर के विकास से क्षेत्र में सुरक्षा भी बढ़ेगी, और यहाँ आर्थिक विकास के जरिये अलगाववाद और अतिवाद की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी। भारत की यह परियोजना भारत के पूर्वोत्तर के लिए तो वरदान है ही है, इससे चीन की समस्या से निपटने में भी बड़ी राहत मिलेगी। भारत और जापान ने अपनी एक परियोजना से एक ही तीर से दो निशाने भेदने का काम किया है।

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