केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया झटका, गुरुवायूर मंदिर से अवैध तरीके से लिए गए 10 करोड़ लौटाने के आदेश

राज्य की वामपंथी सरकार ने गुरुवायूर मंदिर से अवैध तरीके से ऐंठे है करोड़ों रुपये

केरल

केरल सरकार को अभी केरल हाई कोर्ट की ओर से ज़बरदस्त झटका लगा है। गुरुवायूर देवास्वोम बोर्ड से राहत कोष में दान के नाम पर जो केरल की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ने पैसे ऐंठे, उसे ना केवल केरल हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया, बल्कि केरल सरकार को उस गुरुवायूर मंदिर को ससम्मान लौटाने का भी आदेश दिया।  

अपने निर्णय में केरल हाई कोर्ट ने न केवल केरल सरकार द्वारा गुरुवायूर देवास्वोम बोर्ड से 10 करोड़ ऐंठकर सीएम राहत कोष में डालने के निर्णय को अवैध बताया, बल्कि इसके लिए केरल के वर्तमान प्रशासन को खरी-खोटी भी सुनाई। कोर्ट के निर्णय के अनुसार, “सीएम राहत कोष में फंड्स देना गुरुवायूर देवास्वोम बोर्ड के न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत नहीं आता। जिस प्रकार से सरकार ने ये धन देवास्वोम बोर्ड से लिया है, वो अवैध है, और सरकार को तत्काल प्रभाव से ये धन वापस कर देना चाहिए।”

बता दें कि मई माह में तमिलनाडु के तर्ज पर  केरल सरकार ने Guruvayur Devaswom Board के कोषागार से पांच करोड़ ऐंठे, ये जानते हुए भी कि देश के अन्य प्रतिष्ठानों की तरह मंदिरों में भी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पैसों की काफी किल्लत थी।

यह धनराशि तुरंत चीफ मिनिस्टर के राहत कोष में स्थानांतरित कर दी गई। हद तो तब हो गई, जब Guruvayur Devaswom Board के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा, “बोर्ड ने सीएम आपदा राहत कोष को बाढ़ के समय भी काफी सहायता दी थी।” कृपया मोहनदास ये बताने का कष्ट करेंगे कि केरल में बाढ़ के समय कौन सा देश में लॉक डाउन लगा हुआ था?

इस लूटपाट के पीछे तब राज्य के भाजपा प्रमुख के सुरेंद्रन ने इस लूटपाट पर राज्य सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि आखिर राज्य सरकार इतने प्रेम से बाकी धार्मिक संस्थानों से पैसा क्यों नहीं मांगती है। के सुरेंद्रन के अनुसार, ” Guruvayur Devaswom act की धारा 27 के अनुसार यहां के आराध्य श्रीकृष्ण यहां के संपत्ति और आय के स्वामी है। इस आय का उपयोग केवल मंदिर के रखरखाव के लिए होना चाहिए। वैसे भी इस दुरुपयोग पर हाई कोर्ट में मामला लंबित है।”

लेकिन मंदिरों से यह लूट केवल एक मंदिर तक सीमित नहीं है। ये धर्मनिरपेक्ष सरकारें मंदिर के प्रबंधन बोर्ड का नियंत्रण करने की जिम्मेदारी गैर-हिंदुओं को भी देती हैं, जो हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखते और न ही भगवान को मानते हैं। पुजारियों को मंदिरों के प्रबंधन में दखल देने की इजाजत नहीं दी जाती है और ऐसे में मंदिर के पुजारी अब भ्रष्ट लेफ्ट को मानने वाले बोर्ड प्रबंधकों से तंग आ चुके हैं। उच्च न्यायालय ने कर्नाटक के गोकर्ण स्थित महाबलेश्वर मंदिर को सरकार के कब्जे में सौंपने का आदेश दिया था और अब कर्नाटक की तरह ही केरल सरकार हिंदू मंदिरों पर अपना नियंत्रण चाहती है।

इस प्रकार की लूट मई में ही तमिलनाडु सरकार ने भी करने का प्रयास किया था, परन्तु भारी विरोध और मद्रास हाई कोर्ट से झिड़की खाने के बाद उन्हें ये निर्णय वापिस लेना पड़ा। अब केरल सरकार को एक बार फिर अपनी सीमाएं लांघने के लिए केरल हाई कोर्ट ने क्लास लगाई है।

 

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