हाल ही में अमेरिकी House of Representatives ने एक अहम रक्षा बिल को मंजूरी दी है। इस रक्षा बिल में न सिर्फ अमेरिका की रक्षा नीति को और सशक्त करने की बात की गई है, बल्कि भारत चीन विवाद में चीन को आड़े हाथों लेकर भारत का समर्थन भी किया गया है।
हाल ही में अमेरिकी काँग्रेस ने एक अहम निर्णय में 740 बिलियन डॉलर मूल्य की रक्षा नीति विधेयक को पारित किया है, जिसमें सबसे प्रमुख बात है चीन द्वारा भारत पर किए गए हमले के परिप्रेक्ष्य में अमेरिका का सख्त रुख। लेकिन यही एक अहम बात नहीं है। भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति के आवेदन पर इस विधेयक में ये भी सूचित किया गया है कि चीन ने भारत पर जून में जो हमला किया वो गलत था और अमेरिका ऐसे किसी भी उग्र गतिविधि के विरुद्ध हमेशा खड़ा होगा।
यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि House of Representatives में डेमोक्रेट्स की भरमार है, जो अधिकतर भारत समर्थक नहीं होते, और अब डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से और अधिक प्रभाव जमाएंगे। परंतु जिस प्रकार से उन्होंने इस बिल को भारत वाले संशोधन सहित पारित करवाया, उससे स्पष्ट होता है कि चाहे ट्रम्प सरकार हो या बाइडन, अमेरिका भारत के हितों के साथ कोई समझौता करने की भूल नहीं करेगा।
इस विधेयक से अमेरिका एक और संदेश भेजना चाहता है – चाहे कुछ भी हो जाए, पर अमेरिका भारत के हित में ही निर्णय लेगा। चुनावी अभियान के दौरान डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवारों के बड़बोलेपन से भारत के निवासियों में ये शंका थी कि कहीं इनके आने से अमेरिका और भारत के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े। लेकिन इस शंका को दूर करने में बाइडन प्रशासन दिन रात एक किए हुए हैं।
अभी हाल ही में उदाहरण के लिए बाइडन प्रशासन ने एक ऐसे व्यक्ति को अपने भावी विदेश मंत्री पर चुना है, जो चीन की गुंडई का पुरजोर विरोध करते हैं। विदेश मंत्री के प्रभावी उम्मीदवाकर एंटनी ब्लिंकेन के अनुसार, “भारत और अमेरिका के पास इस समय एक समान चुनौती है – चीन की बढ़ती आक्रामकता। जिस प्रकार से वह LAC पर भारत के विरुद्ध आक्रामक हो रहा है और जिस प्रकार से वह अपनी आर्थिक शक्तियों का दुरुपयोग कर छोटे देशों पर अत्याचार कर रहे हैं, उससे हमारी [भारत और अमेरिका की] चिंतायें काफी बढ़ सकती है”।
इतना ही नहीं, बाइडन प्रशासन ने उस व्यक्ति को अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के तौर पर चुना है, जो न केवल भारत समर्थक है, बल्कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंध विरोध का भी समर्थन नहीं करता। जैसे एंटनी ब्लिनकेन भारत के हितैषी माने जाते हैं, वैसे ही जेक सुलिवन भी प्रखर भारत समर्थक हैं। उन्होंने पिछले ही वर्ष एक अहम बयान में कहा था कि अमेरिका द्वारा बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीज़ा न देना अपने आप में अतार्किक और एक गलत निर्णय था, जिससे वे निजी तौर पर बिल्कुल भी सहमत नहीं थे।
सच कहें तो अमेरिका के इस बदले स्वभाव के पीछे का प्रमुख कारण भारत का बढ़ता अंतर्राष्ट्रीय कद है। इस समय जो बाइडन ये बात भली भांति जानते हैं कि भारत के हितों के साथ समझौता करके अमेरिका का भला नहीं होगा इसीलिए उन्होंने न केवल चीन पर लगे आर्थिक प्रतिबंध को फिलहाल के लिए सत्ता ग्रहण करने के तुरंत बाद नहीं हटाने का निर्णय लिया, बल्कि वे भारत समर्थक निर्णयों को भी बढ़ावा दे रहे हैं।