BJP नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई करने की थी ममता की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट ने फेरा मंसूबों पर पानी

अपने राजनीतिक विरोधियों पर अनैतिक हमले करवाने में ममता बनर्जी अपने ही सभी पुराने रिकार्ड ध्वस्त कर रही हैं

ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी विधानसभा चुनाव नहीं हारी हैं, लेकिन अनैतिक गतिविधियों के कारण केंद्र सरकार से लेकर अदालतें सभी ममता सरकार को लताड़ रही हैं। राजनीतिक रस्साकसी में दर्ज हुए केसों को लेकर जब ममता ने बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई करने की प्लानिंग की तो ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को किसी भी तरह की ऐसी पुलिसिया कार्रवाई करने से रोक दिया है और इससे बीजेपी नेताओं के लिए राज्य में ममता द्वारा बढ़ाई जा रही मुश्किलों में कमी भी आएगी।

ममता बनर्जी को झटका देते हुए भाजपा नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसके तहत भाजपा के उन पांच बड़े नेताओं के खिलाफ कोई भी पुलिसिया कार्रवाई नहीं की जाएगी; जिनके खिलाफ राज्य की पुलिस ने आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। इनमें बीजेपी के चुनाव प्रभारी और महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, मुकल रॉय, अर्जुनसिंह, दो अन्य लोकसभा सांसद पवन कुमार सिंह और सौरव सिंह हैं। इस मामले की अगली सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट जनवरी में करेगा।

पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले ऐसी वारदातों को लेकर बीजेपी नेता खौफ में थे क्योंकि उन्हें लगातार पुलिस और राज्य की अलग-अलग एजेंसियों से नोटिस मिल रहे थे। इसके चलते इन सभी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में संरक्षण की याचिका लगाई थी और अब राज्य में इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षण दे भी दिया है। इसे बीजेपी नेता अपने लिए एक जीत और ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार की तरह देख रहे हैं।

इसमें कोई शक नहीं है कि विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में ऐसी गतिविधियों को राज्य सरकारें अंजाम देती हैं, लेकिन अगर बात पश्चिम बंगाल की होती है तो इसके संभावनाएं 99 प्रतिशत तक चली जाती है। बंगाल में इन नेताओं को नोटिस मिलने भी लगे थे जिसके चलते ये सभी नेता सुप्रीम कोर्ट चले गए थे। ममता सरकार में विपक्षियों के साथ कितना बुरा सलूक किया जाता है इसका उदाहरण बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुआ हमला और उसके बाद ममता सरकार की उदासीनता भी है।

यही कारण है कि ममता सरकार से नाराज टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी ने पार्टी छोड़ने के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पत्र लिखा था और कहा था कि उन पर बदले की कार्रवाई के साथ ही उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। शुभेंदु के डर को देखते हुए उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा भी दी गई है। शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी की पार्टी में रह चुके हैं। इसलिए उन्हें पता है कि ममता बनर्जी किस वक्त क्या कर सकती हैं और वो स्वार्थ के लिए किस हद तक राजनीतिक स्तर को गिरा सकती हैं।

ऐसे में बीजेपी नेताओं के डर को सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे से समझा है। इसके साथ ही ममता बनर्जी के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीजेपी नेताओं के लिए एक राहत की बात और ममता सरकार के लिए तगड़े झटके से कम नहीं है।

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