मिलिए JDU के नए Party President से, जिन्हें RCP टैक्स वसूलने के लिए जाना जाता है!

नीतीश कुमार की जगह लेंगे, RCP सिंह

JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को चुना है। सिंह के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में पार्टी में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले दो और नेताओं का नाम चल रहा था। ललन सिंह और सांसद राजीव रंजन। किंतु नीतीश ने RCP का चयन किया। इसके तीन मुख्य कारण हैं। सिंह मूल रूप से कुर्मी हैं जो नीतीश की ही जाति है और उनका मुख्य वोटबैंक है। कुर्मी कोइरी वोट नीतीश का मुख्य आधार रहा है ऐसे में सिंह उनके मुख्य वोटबैंक से आने के कारण अपना स्वयं का अस्तित्व नहीं बना पाएंगे।

दूसरा कारण यह है कि सिंह वैसे भी कोई जननेता नहीं हैं और वे भी नीतीश की तरह नालंदा से ही ताल्लुख रखते हैं। इन दोनों के अलावा तीसरा कारण यह है कि सिंह नीतीश के जांचे परखे आदमी हैं जो उनके साथ तब से हैं जब नीतीश, अटल जी की सरकार में रेल मंत्री थे।

RCP सिंह उत्तर प्रदेश बैच के IAS हैं और वे नीतीश के रेलमंत्री के कार्यकाल में बतौर निजी सचिव कार्यरत थे। नीतीश के बिहार का मुख्यमंत्री बनने के बाद वे बिहार के मुख्य सचिव बने एवं 2010 में समयपूर्व सेवानिवृत्त होकर वे राजनीति में आये। वे JDU की ओर से दो बार राज्यसभा सांसद बनाए गए। पार्टी में उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पार्टी में प्रशांत किशोर के बढ़ते दबदबे को खत्म करने में मुख्य भूमिका निभाई। साथ ही RSLP के नेता उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में वापसी को भी रोक दिया।

उन्हें नीतीश का इस कदर विश्वास प्राप्त है कि चुनावों में रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को कंट्रोल करना, सरकार की नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा आरसीपी सिंह के कंधों पर है।

आरसीपी सिंह ‘जेडीयू का चाणक्य’ कहे जाने लगे हैं। 2015 के बाद जब नीतीश कुमार, प्रशांत किशोर की नीतियों के चलते भाजपा से अलग हो गए थे तथा JDU और भाजपा की दूरियां बहुत अधिक बढ़ चुकी थीं तो उसके बाद सिंह के प्रयासों से ही भाजपा जदयू का गठबंधन संभव हो पाय।

किंतु सिंह की छवि की स्वच्छ नेता की नहीं है। बिहार में माना जाता है कि सभी छोटे बड़े ठेकों, व्यापारिक समझौतों आदि के लिए आपको एक अन्य tax देना पड़ेगा, RCP टैक्स। यह मुद्दा तेजस्वी यादव की ओर से प्रमुखता से उठाया जाता रहा है। तेजस्वी ने संविधान बचाओ न्याय यात्रा के तहत मधुबनी के मंच से कहा था कि “बिहार में एक अलग तरह का टैक्स लगता है, जो RCP टैक्स है। इसके तहत रिश्वत की खुलेआम वसूली की जा रही है। ”

NDTV के साथ एक साक्षात्कार में भी उन्होंने ऐसे ही आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था ” हर जगह लोग होते हैं, कमीशन होता है। बिहार में RCP टैक्स से मशहूर है। RCP जी से पूछिएगा कभी। वो अच्छे से बता सकेंगे। हम तो कह रहे हैं RCP टैक्स है, कुछ नहीं हो सकता। मतलब ट्रांसफर पोस्टिंग भी होती है अधिकारियों की और अधिकारी कितना भी गलती करता रह जाए, कितने भी गंभीर मामलों से जुड़ा हो लेकिन कोई उसका बाल बांका नहीं कर सकता क्योंकि उसने RCP टैक्स देने का काम किया है। ”

नीतीश बिहार की राजनीति में दिन प्रतिदिन कमजोर हो रहे हैं यह जगजाहिर है। उन्हें भाजपा से चुनौती मिल रही है, हाल ही में असम में भी जदयू के 6 विधायक भी भाजपा में शामिल हुए हैं। नीतीश को इस बात का डर सता रहा है कि असम की कहानी बिहार में फिर न दोहराई जाए। कमजोर होते नीतीश को पार्टी में ही विरोध का सामना न करना पड़े इसके लिए उन्होंने RCP सिंह को अपना प्रतिनिधि बनाकर पार्टी अध्यक्ष बनाया है।

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