ओवैसी और ममता ने गठबंधन की सभी उम्मीदों को कहा अलविदा

बंगाल में भाजपा की जीत की संभावना हुई प्रबल

यदि भाजपा की बंगाल विजय में कोई शंका रह गई थी, तो अब वो AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दूर कर दी है। हाल ही में ममता बनर्जी ने भी ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए उन्हें खरी-खोटी सुनाई और उनपर भाजपा की बी टीम होने का घिसा पिटा राग अलापा, जिस पर ओवैसी ने न केवल ममता को आईना दिखाया, बल्कि दोनों के बीच ‘संभावित गठबंधन’ के विचार पर भी पूर्णविराम लगवा दिया।

हाल ही में ममता बनर्जी ने जलपाईगुड़ी में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “अब भाजपा अल्पसंख्यक वोटों को बांटने के लिए हैदराबाद से एक पार्टी लाई है। भाजपा उन्हे पैसा देती है और वह वोटों का बंटवारा करती है। बिहार के चुनावों में ये बात सच सिद्ध भी हुई है”

यहाँ ममता बनर्जी का स्पष्ट इशारा ओवैसी की पार्टी AIMIM की ओर था, जिसने बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटों पर विजय प्राप्त कर तहलका मचा दिया था। ओवैसी ने अपना लक्ष्य बिहार के इस्लामिक बहुल विधानसभा क्षेत्रों पर केंद्रित किया था, जिसमें उन्होंने भारी सफलता भी पाई। अब इसी उद्देश्य से ओवैसी ने बंगाल में कदम रखा है, और एक समय उन्होंने ममता बनर्जी को गठबंधन करने के लिए प्रस्ताव भी दिया।

सच कहें तो असदुद्दीन ओवैसी के बढ़ते प्रभाव से ममता बनर्जी काफी डरी सहमी हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से जिस प्रकार से वह अपना प्रभाव बंगाल में बढ़ा रहे हैं, उससे ममता का अल्पसंख्यक वोट बैंक पूर्ण रूप से खतरे में आता है। ओवैसी आराम से 40 से अधिक बंगाली विधानसभा सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं, जो तृणमूल काँग्रेस के लिए बेहद घातक सिद्ध होगा।

परंतु ममता बनर्जी के बड़बोलेपन से ओवैसी भड़क गए, और उन्होंने ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा कि दुनिया में ऐसा कोई माई का लाल नहीं पैदा हुआ है, जो असदुद्दीन ओवैसी को खरीद सके।

इसके अलावा उन्होंने ममता बनर्जी के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण नीतियों की पोल खोलते हुए ट्वीट किया, “अब तक आपने सिर्फ जी हुज़ूरी करने वाले मीर जाफ़रों और सादिक जैसे लोगों से बात की है। आपको वो मुसलमान पसंद नहीं जो अपने निर्णय लेना जानते हैं। आपने बिहार में हमें मत देने वालों का अपमान किया है। स्मरण कीजिए कि उन पार्टियों का क्या हुआ जो बिहार में हमें ‘वोट कटवा’ कहकर चिढ़ाते थे। मुसलमान आपकी निजी जागीर नहीं है”

सच तो यह है कि यदि ममता ओवैसी से गठबंधन करती, तब भी उन्हें काफी नुकसान होता, और अब ओवैसी द्वारा अकेले लड़ने के संकेत मात्र से ही उन्हें बेहद तगड़ा नुकसान होने वाला है। इससे न सिर्फ भाजपा की बंगाल विजय सुनिश्चित होगी, बल्कि जिस अल्पसंख्यक वोट बैंक के चक्कर में पिछले 5 वर्षों में ममता ने इतना त्राहिमाम मचाया था, वो भी उनके हाथ से फिसल जाएगा।

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