पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की स्थिति अब धीरे-धीरे बौखलाहट वाली होती जा रही है। हार का डर उनके माथे और लड़खड़ाती जुबान से साफ जाहिर हो रहा है। ममता का डर इस बार और ज्यादा इसलिए भी है क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी इस बार बंगाल में चुनाव लड़ने वाली है।
ममता बनर्जी ओवैसी को बीजेपी की टीम का हिस्सा बता रही हैं, उनका कहना है कि बीजेपी ओवैसी को पैसे देकर चुनाव लड़वाती है। ममता बनर्जी की ये बौखलाहट दिखाती है कि उन्हें भी ऐसा लगने लगा है कि ओवैसी के आने से उन्हें बंगाल के विधानसभा चुनाव में और ज्यादा नुकसान होने वाला है जिसका फायदा बीजेपी उठाएगी।
ममता बनर्जी उसी दिन से डरी हुई है जिस दिन बिहार के नतीजों के बाद असदुद्दीन ओवैसी ने टीवी पर कहा था कि वह बंगाल में विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। ममता ने जलपाईगुड़ी की एक रैली में कहा, “अल्पसंख्यकों के वोटों को विभाजित करने के लिए उन्होंने (बीजेपी) हैदराबाद की एक पार्टी (एआईएमआईएम) को पकड़ा है। बीजेपी उन्हें पैसे देती है और वे वोटों को बांटने का काम करते हैं। बिहार चुनाव में यह देखा भी गया है।”
यहीं नहीं ममता बनर्जी ने बीजेपी को सबसे बड़ा चोर बताया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी से बड़ा कोई चोर नहीं है। वे चंबल के डकैत हैं। उन्होंने 2014, 2016 और 2019 के चुनावों में कहा कि सात चाय बागान दोबारा खोले जाएंगे और केंद्र सरकार उनका अधिग्रहण करेगी। वे अब नौकरी के वादे कर रहे हैं। वे ठग रहे हैं।” ममता ने ओवैसी और बीजेपी के बीच अंदरखाने साठ गांठ होने की बात कही है जो कि बीजेपी के लिए फायदेमंद हैं।
ममता बनर्जी ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र के मुस्लिम बहुल सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का जबरदस्त प्रभाव देखा है, जिसके कारण महागठबंधन की न केवल हार हुई, बल्कि बीजेपी शासित एनडीए नेतृत्व के हाथों एक बार फिर बिहार की सत्ता भी आई। ममता बनर्जी ऐसे में डर रही हैं कि ओवैसी के आने से कहीं बंगाल में भी मुस्लिम बहुल सीटों पर वोटों का बंटवारा ना हो जाए। इसीलिए वो ओवैसी को बीजेपी की ही दूसरी टीम बता रही है क्योंकि वह भी ये समझती हैं कि ओवैसी के आने से उनकी हार 90% तक तय हो जाएगी।
ममता बनर्जी बीजेपी को काउंटर करने के लिए हिंदू वोटों को भी साधने में लगी हुई हैं। उत्तरी बंगाल में उनका खुद को बीजेपी और आरएसएस से बड़ा हिंदू साबित करना यह दिखाता है कि वो ये बात अच्छे से समझ चुकी हैं कि अब केवल मुस्लिम वोटों के दम पर पश्चिम बंगाल में सरकार नहीं बनाई जा सकती है, लेकिन खास बात यह है कि हिंदू वोटरों को साधने के चक्कर में ममता बनर्जी अपना मुस्लिम वोट भी खो देंगी।
पहले मुसलमानों के पास लेफ्ट और कांग्रेस के अलावा कोई विकल्प नहीं था; लेकिन ओवैसी के आने से मुस्लिम समुदाय को एक नया विकल्प भी मिलेगा। ऐसे में ममता बनर्जी से नाराज मुस्लिम वर्ग एकमुश्त ओवैसी को वोट दे सकता है जिसका सीधा घाटा ममता की सत्ता को होगा।
ओवैसी के आने से मुस्लिम वोटों के बंटने की स्थिति, ममता के खिलाफ 10 वर्षीय सत्ता विरोधी लहर, राज्य में खराब कानून व्यवस्था और बीजेपी के पक्ष में चल रही हवा, राज्य में बीजेपी की सत्ता सुनिश्चित कर सकती है। ममता बनर्जी बीजेपी के इसे जीर्णोद्धार से डर रही हैं क्योकि सत्ता के इस कायाकल्प में बीजेपी के अलावा ओवैसी की भूमिका सबसे अधिक है।