एनसीपी प्रमुख शरद पवार की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएं किसी से छिपी नहीं हैं। इन्हीं महत्वकांक्षाओं ने ही तो पवार को कांग्रेस से अलग रास्ता चुनने पर मजबूर किया था, लेकिन अब वो अपनी उन्हीं इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक नई बाट जोह रहे हैं। भावी यूपीए चेयरपर्सन के लिए शरद के नाम को कांग्रेस द्वारा नकारे जाने के बाद शरद अब शिवसेना जैसी पार्टियों से अपने पक्ष में बयान दिलवा रहे हैं, जिससे विपक्षी दलों के अंदर की बात जगजाहिर हो सके। इसी का उदाहरण शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान भी है जो शरद को विपक्ष के लिए एक मजबूत नेता बता रहे हैं।
दरअसल, शरद पवार को यूपीए का चेयरपर्सन बनाने की चल रही खबरों के बीच जब कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को ही गलत करार दे दिया तो शिवसेना ने अपना ही राग छेड़ दिया। शिवसेना नेता संजय राउत ने शरद पवार को इस पद के काबिल बताते हुए समर्थन देने की बात कही है। उन्होंने कहा, “अगर पवार सर यूपीए का चेयरपर्सन बनते हैं तो हमें खुशी होगी। लेकिन, मैंने यह सुना है कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर मना कर दिया है। अगर यह प्रस्ताव आधिकारिक तौर पर सामने आता है तो हम उसका समर्थन करेंगे।”
संजय राउत ने न केवल शरद पवार का समर्थन किया बल्कि दबे मुंह कांग्रेस के विपक्षी एकता के ढकोसले को भी लपेटे में ले लिया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस अब कमजोर हो गई है और विपक्ष को एक साथ आने और यूपीए को मजबूत करने की जरूरत है।” शिवसेना द्वारा यूपीए की मजबूती के लिए शरद पवार को समर्थन देने की बात कोई हैरान करने वाली नहीं है। इन दिनों महाराष्ट्र की इन दोनों ही पार्टियों के बीच काफी सामंजस्य दिख रहा है जो कि कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के इस बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। संभवतः ये शरद पवार की एक माहौल जानने की कोशिश हैं कि अगर वो यूपीए चेयरपर्सन के लिए ताल ठोकते हैं तो किस पार्टी का रुख उनके साथ होगा और कौन उनके खिलाफ होगा। शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति में इस वक्त नंबर वन हैं क्योंकि उन्हीं के दम पर सरकार चल भी रही हैं। ऐसे में एनसीपी द्वारा ही शिवसेना से ये कहलाया गया है कि शरद पवार के समर्थन में बयान दें, और शिवसेना की तरफ से बयान सामने आ गया।
शरद पवार को राजनीति का मंझा खिलाड़ी माना जाता है। कांग्रेस के साथ भले ही वो गठबंधन में हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि वो कांग्रेस के साथ सौदेबाजी या सख्ती नहीं करते हैं। कांग्रेस के जनाधार को चोट पहुंचाने में उनकी हमेशा ही महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। गोवा एक उदाहरण है जहां कांग्रेस के न चाहते हुए भी शरद पवार एनसीपी को स्थापित करने के लिए महाविकास आघाड़ी की पार्टियों का विपक्षी गठबंधन बनाना चाहते हैं ,जिसमें कांग्रेस का नुक्सान ही है।
ऐसे में यूपीए चेयरपर्सन के मुद्दे पर संजय राउत के उस बयान को शरद पवार की ही एक नीति माना जा रहा है जिससे विपक्षी दल और नेताओं का रुख उनके नाम पर पता चल सके।