पिछले एक वर्ष से देश में हो रहे दंगों में इजाफा देखने को मिला है और इन दंगों को आयोजित करने, उसके लिए फंड जमा करने और अंजाम देने में PFI यानि पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का सबसे बड़ा हाथ है। इस संगठन के एक के बाद एक, कई रहस्यों से अब पर्दा उठता जा रहा है। अब मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ED ने बताया है कि PFI को 120 करोड़ रुपये मिले थे, जिससे वह देशभर में दंगे करवा सके। अब जिस तरह, सुबूत सामने आ रहे हैं, जल्द ही सरकार को इस संगठन को बैन कर देना चाहिए।
India Today की रिपोर्ट के अनुसार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के अकाउंटेंट ने प्रवर्तन निदेशालय को बताया है कि PFI के शाहीन बाग स्थित कार्यालय में बेहिसाब नकदी रखी गई थी। अकाउंटेंट ने ED अधिकारियों को बताया कि, ये पैसा कर्नाटक और केरल से लाया गया था और दिल्ली के एक PFI सदस्य द्वारा समन्वित किया गया था।
बता दें कि गुरुवार को, प्रवर्तन निदेशालय ने PFI और उसके सदस्यों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नौ राज्यों यानि केरल, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली और महाराष्ट्र में 26 स्थानों पर छापा मारा।
इन सभी के साथ PFI के शाहीन बाग स्थित कार्यालय पर भी ED ने छापा मारा था। इससे पहले ED की जांच में पता चला था कि PFI और उससे जुड़ी संस्थाओं से जुड़े 73 बैंक खातों में 120 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए गए थे। यानि पूरे देश में दंगे करवाने के लिए PFI ने 120 करोड़ रुपये जुटाये थे।
रिपोर्ट के अनुसार ED ने कथित तौर पर पाया कि PFI को करोड़ो रुपये मिले थे जिसमे तीन विदेशी संस्थाओं के माध्यम से 50 लाख रुपये का विदेशी योगदान भी शामिल था। ED ने जांच के प्रारंभिक चरण के दौरान कहा था कि, “PFI के और रिहैब इंडिया फाउंडेशन के सदस्यों से पूछताछ की जा चुकी है लेकिन किसी ने इन रुपयों के स्रोत के बारे में नहीं बताया है।”
बता दें कि CAA के खिलाफ देश भर में हुए दंगों में PFI की भूमिका के सामने आने के बाद ED ने जांच शुरू की थी। दिल्ली और यूपी के दंगों में PFI के कई सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद ED ने मनी शोधन के मामले की जांच शुरू कर दी थी। तब ED ने कहा था कि शाहीनबाग के प्रोटेस्ट में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के कई नेता शामिल थे और ये लगातार इस्लामिक संगठन PFI के संपर्क में थे। यही नहीं, दिल्ली हिंसा में संलिप्त संगठन PFI ने ताहिर हुसैन का बचाव करते हुए कहा था कि उसकी कोई गलती नहीं थी, वह गंदी राजनीति का शिकार बना है।
चाहे वो असम हो या उत्तर प्रदेश, इन राज्यों से PFI के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई थी। शाहीन बाग में अराजकता फैलानी हो, या फिर पूर्वोत्तर दिल्ली में दंगे भड़काने हो, PFI की भूमिका हर जगह उजागर हुई है।
बेंगलुरू में हुए दंगों में PFI और उसके राजनीतिक अंग SDPI का हाथ होने की खबर आई थी। तब बेंगलुरू पुलिस ने इन दंगों को लेकर SDPI के संयोजक मुजम्मिल पाशा को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली हिंसा में खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि इसके लिए तुर्की और ईरान से पाकिस्तान के माध्यम से फंड मिल रहा था। पिछले दिनों काबुल में स्थित गुरुद्वारे पर आत्मघाती हमला करने वाले आतंकयों के बारे में सूचना देते हुए केरल पुलिस ने बताया था कि आत्मघाती हमला करने वालों में शामिल एक हमलावर न केवल केरल से संबन्धित था, बल्कि PFI का हिस्सा भी था। केरल में कट्टरपंथी इस्लामियों द्वारा जिहाद को बढ़ावा देने में PFI का बहुत बड़ा हाथ रहा है।
ऐसे में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि अभी तक इसे बैन क्यों नहीं किया गया है। हालांकि कई राज्य इसे बैन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में PFI को बैन करने की बात चल रही है। कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि, “PFI और SDPI के बैन की प्रक्रिया शुरू हुईं है। किसी भी संगठन पर प्रतिबंध लगाने से पहले कई प्रक्रियाओं जैसे कि उनकी गैरकानूनी गतिविधियों के बारे में सबूत एकत्र करना होता है। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, हम उन्हें उपयुक्त कार्रवाई के लिए केंद्र को भेज देंगे।”
जब इसमें कोई संदेह नहीं कि पीएफआई का नाम हर दंगे में सामने आ रहा है और सबूत भी मिल रहे हैं l यही नहीं, सभी को यह पता है कि PFI उसी SIMI संगठन का हिस्सा है, जो आतंकी गतिविधियों की वजह से 2001 से प्रतिबंधित है। अब ED के खुलासे में 120 करोड़ की फंडिंग के सामने आने से इस संगठन के ऊपर जल्द से जल्द कार्रवाई के आसार बढ़ गए हैं।
जिस तरह से PFI देश में अपने पाँव पसार रहा है और देश को अस्थिर करने के प्रयास कर रहा तथा इसमें उसे विदेशी धन मिल रहा है, अब यह संगठन देश की सुरक्षा और शांति के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और इस संगठन को बैन कर तहस-नहस कर देना चाहिए।