देश की राजधानी दिल्ली को CAA कानून के खिलाफ सुनियोजित तरीके से दंगों की आग में झोंकने वाला समूहों एक बार फिर सक्रिय होने लगा है। ये अराजक लोग केवल कोरोना वायरस और स्वास्थ्य कारणों की गाइडलाइंस में बंधे हुए थे, लेकिन एक बार फिर यह लोग शाहीन बाग की तर्ज पर दिल्ली को बंधक बनाने की तैयारी करने लगे हैं जो दिखाता है ये देश विरोधी ग्रुप अपनी आदतों से बाज आने वाला नहीं है।
दिल्ली को तीन महीने तक बंधक बनाने वाले CAA विरोधी ग्रुप ने अब एक बार फिर चेतावनी जारी की है। यही नहीं इन लोगों ने उमर खालिद और शारजील इमाम जैसे देश विरोधी मानसिकता रखने वालों को रिहा करने की मांग भी उठाई है, जो कि आपत्तिजनक है, क्योंकि ये वही लोग हैं जिन्हें दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
CAA विरोधी इन तथाकथित आंदोलनकारियों ने 2 दिनों पहले एक वेबिनार आयोजित किया था, जिसमें पिछले साल क्या हुआ था उसको याद किया गया था। इस वेबिनार के दौरान कहा गया कि शरजील इमाम और उमर खालिद को राजनीतिक साज़िश के चलते गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों ने यह फैसला भी किया है कि जैसे ही कोरोना वायरस खत्म होगा तुरंत ये लोग फिर सीएए के खिलाफ सड़कों पर बैठ जाएंगे और खाली जगहों पर कब्जा कर लेंगे।
इस मौके पर जेएनयू की एक नेता आयशा मीणा ने कहा, “ उन सभी लोगों (सरकार) को पता है कि ये दंगा किसने करवाया था, फिर भी वो (सरकार) हमें निशाना बना रहे हैं। हमें वहां सड़कों से जबरदस्ती हटाया गया क्योंकि कोरोना वायरस फैल रहा था लेकिन जैसे ही यह सब चीजें सामान्य होंगी हम जाकर फिर उन्हीं जगहों पर बैठ जाएंगे। उमर खालिद और शरजील इमाम जेल में बंद है और वो लोग चाहते थे कि आंदोलन जारी रहे, इसलिए ये जारी ही रहेगा।”
आपराधिक गतिविधियों को धार्मिक और सांप्रदायिक रंग देने में माहिर वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “पहले उन्होंने मुसलमानों को कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर के बयानों से भड़काया, और फिर उन पर हमला हुआ। यह बिल्कुल उसी तरह की स्थिति थी जैसी गुजरात दंगों के दौरान हुई थी। दिल्ली पुलिस की कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने दिल्ली दंगों की एक कहानी बनाई और वरिष्ठ छात्रों को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया।”
#Breaking on EXPLOSIVE #EXCLUSIVE | Anti-CAA protesters allegedly warn of ‘blockade’ once again.
The blockade could restart reportedly after university campuses reopen.Waji with details. pic.twitter.com/e4uXA5b2vW
— TIMES NOW (@TimesNow) December 17, 2020
इसके अलावा एक अन्य आंदोलनकारी कविता श्रीवास्तव ने कहा कि 751 मामलों में आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए, लेकिन कुछ लोगों के खिलाफ जानबूझकर UAPA के तहत कार्यवाही की गई। ये बताती है कि यह एक तथाकथित दंगा था। कविता ने इस दौरान उमर खालिद, शरजील इमाम समेत सभी 22 आरोपियों को बेगुनाह बताया है।
NRC का विरोध करने वाले इन लोगों को लगता है कि इस कानून से इन्हें किसी भी प्रकार का कोई फायदा नहीं होगा, इसीलिए यह लोग सड़कों पर आकर रास्ते जाम कर रहे हैं। शाहीनबाग का पूरा धरना ही एक झूठ पर आधारित था कि मुस्लिमों को इस देश से निकाला जाएगा। कुछ अराजक तत्वों ने लोगों के दिमाग में यह झूठ इस कदर तक बैठा दिया कि दिल्ली में बड़े स्तर पर दंगे हो गए।
दिल्ली की सीमाओं पर पहले से ही पंजाब और हरियाणा के किसानों ने एक अराजक आंदोलन चला रखा है जिसे खालिस्तानी समर्थकों ने हाईजैक कर लिया है। ऐसे में CAA और NRC विरोधी ये तथाकथित आंदोलनकारी लोग जानबूझ कर अराजकता को अधिक फैलाने के लिए एक बार फिर सीएए विरोधी आंदोलन को हवा देने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि इनकी देश और शांति विरोधी रणनीति को जाहिर करता है।