बाइडन led अमेरिका से deal करते हुए, रूस छोड़ सकता है अपनी ‘रणनीतिक धैर्य’ की नीति और यह बुरी खबर है!

रूस और अमेरिका के रिश्तों के लिए, ये बुरी खबर है!

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन का रूस के प्रति हमेशा ही विरोध का जुनून रहा है, वो पूरे चुनाव प्रचार के दौरान भी कई मुद्दों को रूस से जोड़ते रहे हैं। बाइडेन ने रूस को अमेरिका का दुश्मन घोषित कर रखा है, लाज़मी है कि मास्को व्हाइट हाउस में आने वाले इस शख्स के रुख से चिंतित होगा। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि क्रेमलिन “रणनीतिक धैर्य” की नीतियों को छोड़ अमेरिकी धमकियों के खिलाफ आक्रमक हो सकता है।

इसमें कोई शक नहीं है कि डॉनल्ड ट्रंप के साथ रूसी की सामरिक धैर्य की नीति पर काम करना आसान था। राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के खतरे को कंट्रोल करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए रूस के साथ सहयोग करने के लिए भी उनका रवैया अनुकूल था। इसके अलावा, ट्रंप वैश्विक रूप से प्रभावी माने जाने वाले इंडो-प्रशांत वर्चस्व में नाटो के प्रभाव को भी समझ गए थे। बाइडन के आने के बाद अब रूस और अमेरिका की दुश्मनी वाला रवैया फिर शुरू हो जाएगा।

पिछले हफ्ते ही रूसी विदेश मंत्री सर्गेई रेयावकोव ने कहा था कि मास्को के प्रति आने वाले बाइडन प्रशासन का शत्रुतापूर्ण रवैया बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, “हमारे रिश्ते बुरे से बदतर हो रहे हैं। अगले अमेरिकी राष्ट्रपति को एक बुरी विरासत के साथ छोड़ दिया गया है और उन्हें इसे हल करने में काफी समय लगेगा।”

रूसी उप विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि मॉस्को ने बाइडन की नई बदलाव वाली टीम से संपर्क नहीं किया है। उन्होंने कहा, “हम ऐसा नहीं करने वाले हैं। आख़िरी में सबकुछ अमेरिकियों पर निर्भर करता है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों को कब और कैसे आगे ले जाया जाए।”

हालांकि रियाबकोव ने बाइडन के आने वाले नए प्रशासन से बातचीत की किसी संभावना से इंकार भी नहीं किया है। उन्होंने कहा, “हम बेहतर रिश्तों की संभावना कर रहे हैं लेकिन बाइडेन प्रशासन के संभावित लोगों ने अपना करियर ही रूस के खिलाफ अभियान चलाने और रूस पर कीचड़ उछालने में लगाया है।”

उप-विदेश मंत्री के तौर पर रियाबकोव की टिप्पणी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो विदेश मंत्रालय में अमेरिका-रूस के संबंधों का प्रभार लिए हुए हैं। विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का भी कहना है कि मास्को और वॉशिंगटन के बीच बाइडेन प्रशासन के आने से दबाव बढ़ने वाला है।

लावरोव इस बात को अच्छे से जानते हैं कि बाइडन प्रशासन के साथ ही यूरोपियन यूनियन भी अमेरिकी संबंधों को मजबूत करने के लिए रूस के प्रति नकारात्मकता रवैया अपनाएंगे। उन्होंने कहा, “अमेरिका हमेशा ही रूस के लिए शत्रुतापूर्ण रवैया अख्तियार करता रहा है। ऐसे में एक प्रतिक्रिया इस पूरे मामले पर प्रकाश डालने के साथ ही अमेरिका-रूस के रिश्तों का भी निश्चित करेगी।”

पुतिन इस मामले में काफी आगे जाकर ये मान रहे हैं कि अमेरिकी खतरों के लिए रूस की सेनाएं पूरी तरह सक्षम हैं। बाइडेन एक बार फिर नाटो को पुनर्जीवित करने की नीयत दिखा चुके हैं। यदि बाइडन इस ओर ज्यादा काम करते है तो रूस के पश्चिमी क्षेत्र में सैन्य तैनाती अधिक हो सकती है। उन्होंने संकेत दे दिया है कि अमेरिका से टक्कर के लिए उन्होंने नेक्स्ट जेनरेशन वाले हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा तैयार कर लिया है।

उन्होंने कहा, “हम अन्य देशों के भविष्य के हाइपरसोनिक हथियारों के खिलाफ ‘एंटीडोट’ समेत अन्य चीजों के लिए काम कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि हम सभी रास्ते पर हैं और हम ये काम कर लेंगे।”

पुतिन ने कहा है, “हमें अपनी सीमाओं के पास काउंटरपार्ट मिसाइलों की पश्चिमी देशों की तरफ तैनाती के साथ ही प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार होना चाहिए। अगर हमें मजबूर किया जाता है, तो हमें सभी प्रतिक्रिया उपायों को अपनाना चाहिए। इसे सबसे कम समय में ही अंजाम देना चाहिए। मैं इस पर जोर देना चाहूंगा कि रणनीतिक ताकतों के संबंध में, हमने पहले से ही उन उपकरणों के पार्ट्स पर शोध और प्रौद्योगिकी आधारभूत कार्य कर लिया है जिनकी काट दुनिया के पास नहीं है।”

बाइडन का रूस विरोधी रुख पुतिन को आक्रामक बनाता जा रहा है। यदि बाइडेन प्रशासन का रुख रूस के प्रति विरोध वाला ही रहता है तो रूस की तरफ से इसकी प्रतिक्रियाएं भी काफी सख्त होगी। इसीलिए ये माना जा रहा है कि जो बाइडन की जीत के साथ ही रूस बनाम अमेरिका की लड़ाई एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन जाएगी।

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