सचिन पायलट को कांग्रेस में मिल सकता है नया पद, लेकिन Rahul की करनी होगी जी हुज़ूरी

पायलट की इस जीत में भी एक हार छुपी है!

राजस्थान की राजनीति में सब-कुछ ठीक करने के लिए कांग्रेस नेता अजय माकन ने एक बीच का रास्ता ढूंढ निकाला है जिसमें न मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी जाएगी, और न ही पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का कद घटेगा।

गहलोत राजस्थान में पायलट गुट के नेताओं को भी साथ लेकर सरकार चलाएंगे तो वहीं सचिन पायलट राहुल गांधी के लिए कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में रणनीतियां बनाएंगे। दिखने में तो सबकुछ ठीक ही लग रहा है लेकिन इसमें सबसे बड़ा घाटा नई पौध के नेता सचिन पायलट का ही होगा, वहीं सबसे ज्यादा फायदा राहुल गांधी का होगा।

अजय माकन के फार्मूले के अनुसार सचिन पायलट को दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव सरीखा कोई बड़ा पद दिया जाएगा और वो भावी पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की कमेटी में काम करेंगे। इस फार्मूले के अनुसार ही पायलट गुट के सभी विधायकों को अनुपात के आधार पर मंत्री समेत सभी बड़े पद दिए जाएंगे और कोई भेदभावपूर्ण रवैया नहीं अपनाया जाएगा। वहीं पायलट गुट के तीन से चार मंत्री पीसीसी में भी अपनी जगह बना सकते हैं।

जिसके साथ ये माना जाने लगा है कि अब राजस्थान में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं आ सकता है।

सचिन पायलट ने राजस्थान में विपक्ष में बैठे हुए पांच साल तक धूल खाई थी, और पार्टी के लिए काम किया था इसमें कोई शक नहीं है कि वसुंधरा से ये चुनाव कांग्रेस ने पायलट के दम पर ही जीता था, लेकिन काम होने पर पायलट को पीछे कर दिया गया। सत्ता की मलाई अब अशोक गहलोत खा रहे हैं।

सचिन पायलट को जोश के साथ ही राजनीति का अनुभव भी है जो उन्हें कांग्रेस से इतर भी एक विशेष राजनीतिक पहचान भी देता है, लेकिन अब ये सब राजनीतिक रसूख खत्म होने वाला है क्योंकि पायलट के अब बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।

सचिन पायलट को केंद्र की राजनीति में आने वाला फार्मूला काफी उत्साहित कर रहा होगा, लेकिन उनके कार्य के आधार पर उन्हें उतना महत्व नहीं मिलेगा जितने के वो हकदार हैं। यहां भी ठीक वैसा ही होगा जैसा राजस्थान में हुआ था। कांग्रेस ने तय कर लिया है कि चाहे हारें या जीते अध्यक्ष तो राहुल गांधी ही होंगे।

राहुल ने भी गैर-गांधी अध्यक्ष होने की मांगों को ठुकराते हुए अपनी सहमति जाहिर कर दी है। ऐसे में केंद्र में आकर सचिन पायलट को राहुल के उस हारे हुए नेतृत्व मे जी-हजूरी ही करनी होगी।

राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता किसी से भी छिपी नहीं है। इसीलिए अब केन्द्र में ऐसे युवा नेताओं को लाया जा रहा है जो जमीन से जुड़े हों। पायलट उनमें से एक हैं। इन नेताओं का अनुभव राहुल अपने लिए इस्तेमाल करेंगे। राहुल के लिए सभी तरह की राजनीतिक रणनीतियां सचिन पायलट बनाएंगे।

कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की जिम्मेदारी पायलट के कंधों पर होगी, उनकी नई और सकारात्मक छवि पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है जिससे असफलता मिली तो सारा ठीकरा पायलट पर फोड़ा जाएगा और अगर आहे-बगाहे जीत मिल गई तो सारा श्रेय राहुल गांधी को ही मिलेगा।

इसलिए ये कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के लिए सचिन पायलट के लिए वहीं साबित होंगे जो एख वक्त सोनिया गांधी के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, और गड़बड़ियां होने पर उनकी ही छवि पर सबसे ज्यादा दाग लगे थे।

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