भारत-चीन विवाद के दौरान ज़मीन पर यानि भारत-तिब्बत बॉर्डर पर बेशक चीन की ओर से आक्रामकता देखने को मिली हो, लेकिन हिन्द महासागर में चीनी नौसेना भारत के खिलाफ कोई आक्रामकता दिखाने में पूरी तरह असफ़ल साबित हुई है। भारतीय नेवी ने यह भी साफ़ किया है कि अभी हिन्द महासागर में चीनी नौसेना की कोई खास मौजूदगी नहीं है और चीन के तीन युद्धपोत Gulf of Aden में तैनात हैं, जो भारत की सुरक्षा के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करते हैं। 3 दिसंबर को भारतीय नेवी ने अपनी सालाना प्रेस ब्रीफ़ का आयोजन किया था, और उसी दौरान नौसेना ने यह स्पष्ट किया कि वे भारत-चीन विवाद के दौरान हिन्द महासागर में एक प्रभावशाली ताकत के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
3 Chinese warship in Gulf of Aden, only presence in Indian ocean: Indian Navy Chief https://t.co/zYqBq0JQ2z
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 3, 2020
भारतीय नेवी के Vice Admiral अनिल कुमार चावला के मुताबिक “PLA की नौसेना को हमने एक साफ़ और कड़ा संदेश भेजा है कि वे हिन्द महासागर में हमारे साथ उलझ नहीं सकते हैं।” भारतीय नौसेना अध्यक्ष Admiral कर्मबीर सिंह ने भी यह स्पष्ट किया कि भारतीय नौसेना चीन समेत हर बड़े खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि हमने क्षेत्र में लगातार निगरानी के लिए P-8I एयरक्राफ्ट और Heron ड्रोन को तैनात किया हुआ है और जब भी हिन्द महासागर में कोई घटना होती है तो वे तुरंत उसे भाँप लेते हैं।
चीनी नौसेना को अक्सर दक्षिण चीन सागर और हिन्द महासागर में अपनी आक्रामकता दिखाने के लिए जाना जाता है। दक्षिण चीन सागर में PLA की नौसेना वियतनाम, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाती रहती है। यहाँ तक कि पिछले कुछ सालों में हिन्द महासागर में भी चीनी नौसेना की घुसपैठ के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी। हालांकि, यह भारतीय नौसेना की तैयारी ही थी कि चीनी नौसेना लद्दाख में विवाद के दौरान हिन्द महासागर में भारत के लिए कोई चुनौती खड़ी नहीं कर पाई।
उदाहरण के लिए भारतीय नौसेना ने पूर्वी लद्दाख में विवाद के मद्देनज़र जुलाई महीने में ना सिर्फ हिंद महासागर क्षेत्र में अपने निगरानी अभियान तथा परिचालन तैनाती को बढ़ाया बल्कि जापान, अमेरिका, रूस और अन्य मित्र देशों के साथ नई naval exercise भी कीं। इसी चौकसी का परिणाम था कि जब सितंबर महीने में चीन की एक “research vessel” ने हिन्द महासागर में घुसपैठ करने की कोशिश की थी, तो उसे भारतीय नौसेना द्वारा तुरंत track कर लिया गया था और कुछ ही दिनों में उसे वापस लौटने पर मजबूर कर दिया गया था।
हिन्द महासागर में भारत की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नौसेना ने अंडमान एवं निकोबार द्वीपों के आसपास अपनी निगरानी और ऑपरेशन बढ़ाने का फैसला लिया है। अंडमान निकोबार भारतीय दृष्टिकोण से सामरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत सरकार ने पिछले वर्ष जनवरी में चीनी नौसेना की हरकतों की निगरानी करने के लिए हिंद महासागर में अपना तीसरा नेवी बेस खोलने का ऐलान किया था। पिछले वर्ष दिसंबर में हुई प्रेस वार्ता में नौसेना प्रमुख ने कहा था “हमारा रुख रहा है कि अगर आप हमारे क्षेत्र में कुछ भी करते हैं तो आपको हमें सूचना देनी होगी या हमसे अनुमति लेनी होगी।” सिंह ने यह बयान चीन को लेकर ही दिया था और आज एक साल बाद भी उनका यह बयान शत प्रतिशत सटीक बैठता है। हिन्द महासागर में भारत से बड़ी प्रभावशाली शक्ति आज कोई नहीं है और इस साल भारतीय नौसेना ने चीन को इस बात का एहसास भी करा दिया है।