देश में कहीं भी किसी भी प्रकार का दंगा भड़कता है तो उसमें एक संस्था का नाम अवश्य आता है, जो PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। पुलिस की प्राथमिक जांच में ही मुख्य वजह के तौर पर PFI का नाम सामने आ जाता है लेकिन अब इस पर प्रवर्तन निदेशालय ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जिसके तहत इस अलगाववादी संगठन के देशव्यापी 9 राज्यों के 26 ठिकानों पर छापेमारी की गई है और इसके ऊपर लगे गंभीर आरोपों पर कार्रवाई करने के लिए कदम बढ़ा दिए गए हैं क्योंकि विदेशी फंडिंग के जरिए देश में अलगाव फैलाने में PFI हमेशा ही फ्रंटफुट में रहती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक PFI के 9 राज्यों के 26 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापेमारी की गई है, जिसमें केरल में संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओ एम अब्दुल सलाम समेत राष्ट्रीय सचिव नसीरुद्दीन एलामारन के दफ्तर और घर भी शामिल हैं। इसके अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और बिहार में भी इस दंगा भड़काने वाली संस्था के ठिकानों को निशाने पर लिया गया है, जिसमें दबिश डालकर ज़रूरी दस्तावेज जुटाए गए हैं ,जिनकी आगे जांच की जाएगी।
प्रवर्तन निदेशालय अपनी इस पूरी छापेमारी में संस्था की फंडिंग पर ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी इस बात को लेकर आश्चर्य में है कि PFI के पास अचानक इतनी संपत्ति कैसे जमा हो जाती है, रातों-रात इसकी फंडिंग में इजाफा होना प्रवर्तन निदेशालय के लिए भी हैरान करने वाली बात है। निदेशालय उस वेबसाइट की भी जांच कर रहा है जिसमें देश विरोधी एजेंडे चलाए जाते हैं। निदेशालय ने पहली बार इस संगठन को पूरी तरह अपने रडार में ले लिया है, जो दिखाता है कि अब PFI के बुरे दिन शुरू हो गए हैं।
सभी को याद है कि देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के अलग-अलग इलाकों में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के नाम पर दंगे हुए थे जिनमें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के साथ ही मीडिया कर्मियों और आम आदमी तक की जिंदगियों को जोखिम में डाला गया था। इन सभी में PFI की भूमिका सबसे अहम थी। खबरों और पुलिस की प्राथमिकी जांच में यही सामने आया था कि PFI की फंडिंग के जरिए ही देश विरोधी दंगों की पटकथा लिखी गई और देश की छवि खराब करने का खेल खेला गया।
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों और खासकर कानपुर में जो लव जिहाद के मामले सामने आए, उसमें उन अपराधियों को फंडिंग देने में भी सबसे प्रमुख भूमिका इसी अलगाववादी संगठन PFI की थी, जो लगातार देश विरोधी कामों को अंजाम दे रही थी। इसी तरह हाथरस केस में भी PFI ने जातिगत दंगे भड़काने की पूरी प्लानिंग कर ली थी, लेकिन यूपी पुलिस की सूझबूझ के दम पर संभावित जातीय दंगा थम गया लेकिन पुलिस के रडार पर PFI जरूर आ गई।
सारे ऐसे मामले जहां देश विरोध से लेकर धर्म परिवर्तन और दंगों की साज़िश की बात होती है, उसका प्रणेता PFI ही होता है। ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि PFI के खिलाफ सख्त कार्रवाइयां हो। एक तरफ जहां इस देश विरोधी संगठन को देश के कई राज्यों की सरकारें बैन करने की बात करने लगी हैं तो दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय ने इसकी फंडिंग की ट्रैकिंग शुरू कर दी है क्योंकि कई मीडिया रिपोर्ट्स इसकी फंडिंग पाकिस्तान समेत गल्फ देशों से होने की बात भी कर चुके हैं। इसलिए इसपर कार्रवाई होना बेहद जरूरी था,जिसकी शुभ शुरुआत प्रवर्तन निदेशालय ने कर दी है और ये PFI का काला चिट्ठा तैयार करके जल्द ही इसका अस्तित्व को खत्म करने की ओर पहला कदम साबित होगा।