‘हम किसान बिल को वापस नहीं लेगे’, पीएम मोदी का कांग्रेस और प्रदर्शनकारियों को स्पष्ट संदेश

कृषि कानून पर भ्रम फैलाने वालों को करारा जवाब!

भ्रम का रोग हमेशा ही समाज के लिए एक घातक सौदा साबित होता है। कुछ ऐसा ही भ्रम देश की संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाया जा रहा है, जिसके कारण पंजाब से लेकर दिल्ली-एनसीआर तक अराजकता की स्थितियां उत्पन्न हो गईं हैं। किसानों की मांग है कि देश में लागू इस कानून को वापस लिया जाए, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देव-दीपावली महोत्सव के दौरान काशी से ये साफ कर दिया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को गुमराह किया गया है और इसीलिए ये आंदोलन एक भ्रम की उपज है। पीएम ने अपने बयान से ये जाहिर कर दिया है कि किसी भी कीमत पर कृषि कानून के मुद्दे पर केन्द्र सरकार बैकफुट पर नहीं जाएगी और ये कानून वापस नहीं होगा।

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देव-दीपावली के मौके पर काशी में थे, लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर बैठे उन किसानों को ही संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि लगातार इस कृषि कानूनों के मुद्दे पर भ्रम फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा, दशकों तक किसानों के साथ छल करने वाले आज किसानों के बीच भ्रम और आशंका फैला रहे हैं। लेकिन, केन्द्र सरकार के पिछले छह साल के ट्रैक रिकार्ड के आधार पर भ्रम फैलाने वालों का झूठ देश के सामने आ रहा है। प्रधानमंत्री ने काशी के घाट पर मां गंगा की शपथ लेते हुए कहा, केन्द्र सरकार छल से नहीं, गंगाजल जैसे निर्मल नीयत के साथ किसानों के हित में जुटी है।

अक्सर देखा गया है कि मोदी सरकार के तत्कालीन फैसलों पर विपक्ष का रुख ऐसा ही होता है जिसमें भविष्य की अस्थिरता का बोध हो। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के इस एजेंडे को भी उजागर किया है। उन्होंने कहा, दुष्प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन पता नहीं इससे आगे चलकर क्या-क्या होगा। ऐतिहासिक कृषि सुधारों के संबंध में भी जानबूझकर यही खेल हो रहा है। हमें याद रखना है कि ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों से छल किया है।”

पीएम ने केन्द्र द्वारा पारित कृषि कानून के विधानों को लेकर कहा, पहले मंडी के बाहर हुए लेन-देन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।”

उन्होंने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बात भी याद दिलाई और कहा, पहले एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तो घोषित होता था लेकिन उसके अनुसार खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया है। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्ज माफी के पैकेज घोषित होते थे, लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक वे पहुंचते ही नहीं थे। कर्ज माफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित करने वाले मानते थे कि एक रुपया में सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं।”

प्रधानमंत्री ने अपने पूरे संबोधन में किसानों का ही जिक्र किया लेकिन खास बात ये रही कि इस दौरान उन्होंने इस नए कानून के नियमों की तारीफ करने के साथ ही विपक्ष को आड़े हाथों लिया है। पीएम ने जिस तरह से विपक्ष की आलोचना की है, वो बताती है कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ये सरकार मसले को समझ चुकी है कि ये विरोध एक राजनीतिक साज़िश का हिस्सा है। इसी कारण पीएम विपक्ष और खासकर कांग्रेस के झूठ को उजागर करने के साथ ही अपनी नीतियों से भविष्य की बेहतरी पर किसानों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

ये बेहद ही अजीब बात है कि सारे देश के किसान पंजाब में ही रहते हैं। देश के अन्य किसी भी राज्य में कृषि कानूनों को लेकर विरोध नहीं हो रहा है सिवाय पंजाब के, जो दिखाता है कि ये राजनीतिक साज़िश का हिस्सा है। हम आपको अपनी एक रिपोर्ट में बता चुके हैं कि किस तरह से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राजनीतिक साज़िश के जरिए किसानों को केन्द्र सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। जिससे कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर दोबारा उभारा जा सके, हालांकि उन्हें पूरे देश में अन्य किसी राज्य से इस पर कोई खास समर्थन नहीं मिला है।

दूसरी ओर कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष पर हमला बोलकर और कृषि कानून के विधानों की महत्वता बताते हुए पीएम मोदी ने साबित कर दिया है कि कृषि कानून के इस मुद्दे पर मोदी सरकार किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाली नहीं है, क्योंकि ये एक सकारात्मक कदम और बदलाव का हिस्सा है।

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