नाच न जाने आँगन टेढ़ा सिर्फ एक कहावत नहीं, एक विशेष बीमारी का अनाधिकारिक नाम भी है। इस बीमारी से संक्रमित लोगों को लगता है कि संसार में सिर्फ एक वही ईमानदार है, बाकी सब चोर है। ऐसे ही इससे पीड़ित हैं चीनी प्रशासन, जिन्हें लगता है कि चीन की दुर्गति के लिए चीनी प्रशासन को छोड़कर बाकी हर कोई जिम्मेदार है। अब उन्होंने अपनी दुर्गति के लिए चीनी युवाओं को जिम्मेदार ठहराया है।
अभी हाल ही में चीनी प्रशासन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें उसने चीन के युवाओं को चीन की अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान और चीन द्वारा लिए गए भारी कर्ज के लिए दोषी ठहराया है। ग्लोबल टाइम्स के लेख के अनुसार, “जैसे जैसे हम वर्ष के अंत की ओर बढ़ रहे हैं, ‘Debtors Alliance’ नामक ग्रुप में कर्जदारों की सक्रियता बढ़ती ही जा रही है। वे बताते हैं कि कैसे ऑनलाइन कर्ज के जरिए उनपर भारी कर्ज चुकाने का भार बढ़ रहा है।”
इस रिपोर्ट में आगे बताया गया, “2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में 44.5 प्रतिशत से अधिक युवा कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। सच कहें तो इंटरनेट पर मिलने वाले लोन काफी लुभावने होते हैं, क्योंकि उनकी सीमा कम होती है, पैसा जल्दी मिलता है और कोटा भी ऊंचे दर का होता है। इसलिए युवा इसके लिए भारी संख्या में आवेदन करते हैं, लेकिन ये असीमित मांगों के लिए पूरा नहीं पड़ेगा। युवाओं को समझदारी के साथ इन्हे उपयोग में लाना चाहिए”
चीन द्वारा उत्पन्न वुहान वायरस के कारण चीन की छवि और उसकी अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसके बारे में जितना लिखा जाए, उतना कम है। लेकिन मजाल है कि चीन इस विषय पर कोई सकारात्मक कदम उठाए, अपनी गलती स्वीकारना तो बहुत दूर की बात है । जिस प्रकार से चीन ने इस पूरे प्रकरण के लिए युवाओं को दोषी ठहराया है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि चीनी प्रशासन ऐसी वित्तीय अनियमितताओं पर किस तरह, जवाबदेही से बचना चाहता है।
उदाहरण के लिए डाँके घोटाला को ही देख लीजिए। करीब 50 लाख से ज्यादा चीनी किरायेदारों के लिए डाँके एक रेन्टल एजेंट के तौर पर काम करता है। लेकिन अब वह विवादों में घिर चुका है, क्योंकि इसे वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है और इसने कई मका नमालिकों को उनका किराया भी नहीं चुकाया है। गुआंगज़्हू में एक युवक ने आत्महत्या भी कर ली है और साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार चीनी प्रशासन को स्थिति को नियंत्रण में रखने में काफी मुश्किल हो रही है।
चीन का हिसाब स्पष्ट है – कुछ भी हो, पर चीन की दुर्गति के लिए CCP दोषी नहीं है। वुहान वायरस ने एक प्रकार से चीन की वास्तविकता दुनिया के समक्ष जगजाहिर की है। आयात और निर्यात दोनों को काफी तगड़ा नुकसान पहुंचा रहा है, बड़े बड़े देश चीन में निवेश करने से कतरा रहे हैं, यहाँ तक कि यूरोपीय यूनियन भी चीन के साथ पहले जैसे संबंध रखने में इच्छुक नहीं है। चीन की हालत इस समय धोबी के कुत्ते जैसी हो चुकी – जो न घर का रहा, न घाट का, और इसके लिए सिर्फ और सिर्फ चीन की सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ही जिम्मेदार है।