भारत में कई लोग ऐसे मिल जायेंगे जो अपने घटिया प्रदर्शन या आरोपों के चलते सस्पेंड होने के डर से देश में चल रहे विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन देने के नाम पर इस्तीफा देने लगे हैं। ज़ी मीडिया कंपनी में कार्यरत नासीर आज़मी के बाद अब पंजाब के डीआईजी Lakhminder Singh Jakhar का नाम सामने आया है।
डीआईजी Lakhminder Singh Jakhar, जो पंजाब के जेलों के डीआईजी थे। उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया, और उसके पीछे उन्होंने किसानों पर हो रहे कथित अत्याचारों का हवाला दिया है। न्यूज 18 के रिपोर्ट के अनुसार, “जाखड़ का कहना है कि वह अब किसानों के साथ आंदोलन करेंगे। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार जाखड़ ने कहा कि मैं अपने किसान भाइयों के साथ खड़े होने के मेरे विचार के बारे में सूचित करना चाहता हूं, जो कृषि कानूनों का शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं। पंजाब के डीआईजी जेल जाखड़ ने पंजाब सरकार (Punjab Government) को अपना इस्तीफा भेज दिया है। हालांकि, सरकार ने इसे अभी मंजूर नहीं किया है”।
एएनआई के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देने के बाद Lakhminder Singh Jakhar ने कहा, “किसान लंबे समय से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं, किसी ने उनकी समस्याओं को नहीं सुना। मैं एक अनुशासित बल से हूं और नियमों के अनुसार, मैं ड्यूटी पर होने पर विरोध का समर्थन नहीं कर सकता। मुझे अपनी नौकरी के बारे में पहले तय करना है फिर आगे की कार्रवाई तय करनी है”।
लेकिन क्या Lakhminder Singh Jakhar इतने ही न्यायप्रिय हैं, जितना कि वे दावा कर रहे हैं? दरअसल, उनका इस्तीफा ही एक कारण नहीं है। द ट्रिब्यून की रिपोर्ट बताती है कि Lakhminder Singh Jakhar को घूस के आरोप में कुछ महीनों पहले निलंबित कर दिया गया था। उनपर जेल अधिकारियों से महीने के हिसाब से रुपए लेने के आरोप भी हैं।
दरअसल, Lakhminder Singh Jakhar नौकरशाहों की उस टोली से संबंध रखते हैं, जो निष्पक्ष होने का दावा तो खूब करते हैं, लेकिन वास्तव में एक विशेष पार्टी की नीति के विरुद्ध लिए गए निर्णयों के विरोध में इस्तीफा तक देने को तैयार हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए ज़ी मीडिया कंपनी में कार्यरत नासीर आज़मी नामक एक शख्स को ही देेख लीजिए। नासीर आजमी नेे फेसबुक और ट्विटर पर 22 दिसंबर को एक पोस्ट डाली थी जिसमें उसने लिखा कि वह ज़ी मीडिया को त्यागपत्र दे रहा है, क्योंकि चैनल ने CAA, JNU, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी और कन्हैया को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई थी। उसने अपने आप को मुस्लिमों के मसीहा की तरह पेश करते हुए यह बताया था कि उसने नैतिकता के नाम पर ज़ी मीडिया के 6 चैनलों से इस्तीफा देने की घोषणा की थी। जब थोड़ा रिसर्च किया गया तो पता चला कि अपने प्रदर्शन के कारण वो 3 महीने के नोटिस पीरियड पर था। परन्तु अपने प्रदर्शन में सुधार की बजाय उसने इस्तीफा दिया और अपने बुरे प्रदर्शन को क्रांति में बदलने का दाव चला था।
ऐसे ही के गोपिनाथन नामक आईएएस अफसर ने अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने के विरोध में इस्तीफा दे दिया। लेकिन कुछ ही महीनों बाद जनाब कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए नजर आए। ऐसे में Lakhminder Singh Jakhar का इस्तीफा अपनी धूमिल छवि को चमकाने का ठीक वैसा ही प्रयास है, जैसे कि लाइमलाइट में वापिस आने के लिए पूर्व मुक्केबाज़ विजेंदर सिंह द्वारा कांग्रेस काल में दिया गया राजीव गांधी खेल रत्न भाजपा शासित केंद्र सरकार को लौटाना था।