‘चीन और ईरान के मामले में हम ट्रम्प की नीति पर ही चलेंगे’, बाइडन ने लिबरलों को दिया झटका

जानिए, कैसी होगी बाइडन की विदेश नीति जो अभी से ही एक खास वर्ग को झटका दे रही है

ताइवान

इस समय अमेरिका के भावी राष्ट्रपति जो बाइडन पर एक गीत के बोल शत प्रतिशत सटीक बैठते हैं,

“सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे,

क्या से क्या हो गए देखते देखते!”

दरअसल, यह भावना हर उस व्यक्ति के मन में होगी, जिसने सोचा था कि जो बाइडन के सत्ता में आते ही वामपंथियों की बहार होगी, और अमेरिका समाजवाद की ओर अपने कदम बढ़ाएगा, जिसका अर्थ है कि चीन और ईरान पर भी काफी हद तक नरमी बरती जाएगी। लेकिन जो बाइडन ने इन सपनों को चकनाचूर करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता में आने के बाद कम से कम स्थिति सामान्य होने तक चीन और ईरान के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी।

WION न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जो बाइडन ने स्पष्ट कहा, “मैं शासन में आकर जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लूँगा, और ये बात टैरिफ के लिए भी लागू होगी।” यहाँ बाइडन का इशारा स्पष्ट तौर पर चीन और ईरान के विरुद्ध अमेरिकी सरकार द्वारा चलाए जा रहे टैरिफ़ अभियान की ओर था।

परंतु बाइडन केवल उतने पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “मैं अपने विकल्पों में पक्षपात नहीं लाना चाहता। अमेरिका को दुनिया के अन्य लोकतान्त्रिक देशों के साथ मिलकर वैश्विक ट्रेड नीति में चीन के विरुद्ध एक सशक्त मोर्चे का निर्माण करना चाहिए।”

इसके अलावा जो बाइडन ने अप्रत्यक्ष तौर पर चीन को मानवाधिकार उल्लंघन के लिए भी आड़े हाथों लिया। ऐसे में जिन लोगों ने भी यह सोचा था कि बाइडन के सत्ता में आते ही चीन के साथ अमेरिका के संबंध बहाल हो जाएंगे, उनके लिए यह किसी झटके से कम नहीं होगा।

सच कहें तो बाइडन के चीन विरोध के प्रति चीनी विशेषज्ञों ने पहले ही चेतावनी दी थी, और चीनी प्रशासन को भी आगाह किया कि वह बाइडन प्रशासन से अधिक उम्मीदें न पालें। पिछले माह नवंबर में प्रकाशित ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में इस बात पर ध्यान देने का पूरा प्रयास किया गया है कि कैसे बाइडन आए या ट्रम्प, चीन के विरुद्ध अमेरिका की नीतियों पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अपने लेख में ग्लोबल टाइम्स बताता है, “अमेरिका के नेतृत्व में बदलाव भले ही हो जाए, परंतु वाशिंगटन की चीन नीति में कोई विशेष बदलाव नहीं होने वाला। विश्लेषकों का मानना है कि बाइडन की चीन नीति ओबामा वाली चीन नीति की ओर कतई नहीं मुड़ने वाली, और बाइडन से इस दिशा में आशा करना बेकार है।”

इसी परिप्रेक्ष्य में ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में आगे ये भी लिखा, “बाइडन से अधिक उम्मीदें लगाना व्यर्थ है, क्योंकि चीन को नियंत्रण में रखने की नीति दोनों अमेरिकी पार्टियों के लिए समान प्राथमिकता है। ग्लोबल टाइम्स से बातचीत के अनुसार सेंटर फॉर स्ट्रेटीजिक एंड इंटेरनेश्नल सेक्युरिटी स्टडीज़ ऑफ द यूनिवर्सिटी ऑफ इंटेरनेश्नल रिलेशन्स बीजिंग के निदेशक डा वेई ने बताया, “बाइडन की नीति ट्रम्प काल से अवश्य प्रभावित होगी। सच कहें तो चीन से संबंधी नीतियों में ट्रम्प की कृपा से एक व्यापक बदलाव हुआ है, जिसका वापिस लिया जाना लगभग असंभव है।”

अब जिस प्रकार से जो बाइडन ने स्पष्ट किया है कि चीन के विरुद्ध ट्रम्प प्रशासन द्वारा लागू नीतियों में कोई बदलाव फिलहाल के लिए नहीं होगा, उससे चीन का डर सत्य में परिवर्तित होता दिखाई दे रहा है। इसके साथ साथ ये भी संकेत दिख रहे हैं कि बाइडन आगे चलकर चीन के लिए शायद ट्रम्प से भी बड़ा सरदर्द सिद्ध हो सकते हैं, क्योंकि इससे उनकी छवि को फायदा ही फायदा होगा।

 

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