कोरोनावायरस की वैक्सीन के उत्पादन को लेकर पूरी दुनिया में युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है। सभी देशों की सरकारें जल्द-से-जल्द अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन का इंतजाम करना चाहती हैं। इंडोनेशिया भी उन्हीं देशों में है, जहां सरकार जनवरी से युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन का काम करने की प्लानिंग कर चुकी है। वैक्सीन के इस मसले पर भी इंडोनेशियन लोगों की अजीबोगरीब मांग सामने आई है कि जो कि आश्चर्यजनक है। इन लोगों की मांग है कि इन्हें हलाल सर्टिफाइड कोरोना की वैक्सीन चाहिए, जो दिखाता है कि मानव समाज के संरक्षण में काम आने वाली चीजों के मुद्दों पर भी चंद कट्टरपंथी इस्लामिक लोग अपनी धार्मिक कुरीतियों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
इंडोनेशियन नागरिक और कुछ कट्टरपंथी चाहते है कि उन्हें जो भी कोरोनावायरस की वैक्सीन मिले, वो हलाल सर्टिफाइड हो, और ऐसा न होने पर मानव विकास संस्कृति मंत्री ने कहा कि इंडोनेशिया के उलेमा काउंसिल हलाल प्रोडक्ट गारंटी एजेंसी और इंस्टीट्यूट फॉर एसेसमेंट ऑफ फूड, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स द्वारा एक अध्ययन पूरा करके वैक्सीन के खिलाफ फतवा निकालने की तैयारी कर ली गई है। इस्लामिक नीति में हलाल और वर्जित श्रेणी की दो कैटेगरी होती है। हलाल का सर्टिफिकेट उन चीजों को मिलता है जिनके इस्तेमाल की इजाज़त इस्लामिक कानून देता है और वर्जित श्रेणी में वो चीजें आती हैं जिनका उपयोग इस्लामिक कानून में मना है। ऐसे में इस कानून का इंडोनेशिया में सख्ती से पालन किया जाता है क्योंकि यहां दुनिया के सबसे ज्यादा 22 करोड़ मुसलमान रहते हैं।
मुख्य बात ये भी है कि इंडोनेशिया के लगभग 22 करोड़ मुसलमान सारे काम इस्लामिक नियमानुसार ही करते हैं। इसलिए यहां खाने-पीने के सामान, कॉस्मेटिक्स और यहां तक कि दवाइयों का भी हलाल सर्टिफिकेट होना अनिवार्य होता है। हाल ही में हम एक रिपोर्ट में बता चुके हैं कि करीब 1 मिलियन से ज्यादा कोरोनावायरस की वैक्सीन के डोज चीनी कंपनी सिनोवैक द्वारा इंडोनेशिया भेजे गए हैं। इनके जरिए जल्द ही इंडोनेशियन सरकार वैक्सिनेशन करने की प्लानिंग कर रही थी लेकिन हलाल का नाम सुनकर इंडोनेशिया की सरकार के हाथ पैर फूल गए हैं।
इंडोनेशिया की सरकार ने तो सोचा था कि जल्द-से-जल्द कोरोनावायरस की वैक्सीन खरीद कर लोगों का वैक्सीनेशन करा देंगे, और इस महामारी से मुक्ति पा लेंगे, लेकिन उनके लिए अब वैक्सीन से बड़ी मुश्किल और डर इस बात का है कि कहीं उनकी इस चीन से खरीदी गई वैक्सीन पर फतवा न लगा दिया जाए क्योंकि सन 2018 में ही एक वैक्सीन के हलाल सर्टिफाइड नहीं होने पर वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर कट्टरपंथियों द्वारा फ़तवा जारी करवा दिया गया था।
ये बेहद ही अजीब बात है कि जब मानव समाज को बचाने के लिए लोग जल्द-से-जल्द वैक्सीनेशन करवाना चाहते हैं और इस कोरोनावायरस की वैश्विक महामारी को खत्म करके मुक्ति पाना चाहते हैं तो इस मुद्दे पर भी ये कुछ कट्टरपंथी इस्लामिक सोच रखने वाले लोग हलाल और नॉन हलाल की नौटंकी कर रहे हैं जो दिखाता है कि इन लोगों की रगों में कट्टरपंथ का जहर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और ये समाज के लिए घातक है।