जापान के नेतृत्व वाले Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership (CPTPP) में एक नया सदस्य आने वाला है। सूत्रों की माने तो ताइवान इस प्रतिष्ठित ग्रुप से जुड़ सकता है, जिसपर ग्रुप के मौजूद 11 सदस्य पहले ही बातचीत में लगे हुए हैं, और जब ये पूर्ण हो जाएगा, तो ताइवान के लिए TPP जॉइन करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
रविवार को दिए गए बयान में ताइवान के विदेश मंत्रालय ने सूचित किया कि CPTPP को जॉइन करने हेतु नए आवेदकों को मौजूदा सदस्यों के साथ बातचीत करनी पड़ेगी, और उन्हें सर्वसम्मति से उनका आवेदन स्वीकार करना होगा ताकि वह बाद में सदस्यता के लिए बिना किसी समस्या के आवेदन कर सके। प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “जब ये अनौपचारिक वार्तालाप पूरा होगा, तो हम आधिकारिक तौर CPTPP में शामिल होने हेतु आवेदन करेंगे।”
अब ताइवान द्वारा CPTPP जॉइन करने की खबर से चीन की छाती पर निस्संदेह सांप लोट रहे होंगे। जिस CPTPP में घुसने के लिए चीनी प्रशासन इतना जोर लगा रहा था, और जिस प्रकार से शी जिनपिंग से लेके चीनी प्रशासन का हर उच्चाधिकारी जापान की खुशामद करने में लगा था, उसके बावजूद यदि उसे सदस्यता न देकर उसके सबसे बड़े दुश्मनों को सदस्यता प्राप्त करने का अवसर मिले, तो चीन का बौखलाना स्वाभाविक है।
नवंबर में शी जिनपिंग ने काफी डींगें हाँकी थी, मानो CPTPP को जॉइन करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। लेकिन जैसे TFI ने पहले रिपोर्ट किया था, जापान द्वारा चीन के खोखले दावों की धज्जियां उड़ाते देर नहीं लगी। जिस प्रकार से जापानी राजदूत हिडेओ तरुमी ने चीन को पटक पटक के धोया, उससे स्पष्ट था कि चीन को किसी भी स्थिति में जापान CPTPP ग्रुप की सदस्यता नहीं ग्रहण करने देता। तरुमी ने स्पष्ट कहा कि टोक्यो इसलिए चीन को CPTPP में नहीं प्रवेश करने देता, क्योंकि चीन वैसा मार्केट एक्सेस किसी को नहीं प्रदान कर सकता, जैसे CPTPP ग्रुप के सदस्य प्रदान कर पाते हैं।
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ऐसे में चीन की पेशकश ठुकराते हुए टोक्यो ने जापान और चीन के बीच किसी भी प्रकार की साझेदारी के लिए सभी दरवाजे बंद कर दिए हैं। प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा के नेतृत्व में जापानी सरकार वैसे ही पेश आ रही है, जैसे पूर्व प्रधानमंत्री आबे के नेतृत्व में जापानी सरकार पेश आती थी। यूं तो ताइवान डबल्यूटीओ का हिस्सा है, परंतु सभी देश उसके साथ साझेदारी को इच्छुक नहीं है। ताइवान को अपना स्थान बनाने में काफी समय लगा है, और अब वह इसी उद्देश्य से दुनिया के विकसित देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित करने का निर्णय लिया है।
सच कहें तो 2020 ताइवान के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा है। त्साई इंगवेन के नेतृत्व में जिस प्रकार से ताइवान ने विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया है, और जिस प्रकार से उसने वुहान वायरस को चीन से अधिक दूर न होते हुए भी सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है, उससे स्पष्ट होता है कि आने वाला समय ताइवान का ही होगा।
अपने छोटे आकार के बावजूद ताइवान जैसा देश न केवल चीन के मुकाबले डटकर खड़ा है, अपितु चीन की हर गुंडई का मुंहतोड़ जवाब दिया है। इसीलिए जापान जैसे देश चीन के मुकाबले ताइवान के साथ अपना संबंध मजबूत करने में जुटे हुए हैं।