निवेश संबंधी ट्रम्प द्वारा पारित कानून लागू होने के बाद अमेरिकी कंपनियों ने खींचे चीनी फर्म से हाथ

ट्रम्प के जाने के बाद भी ट्रम्प को नहीं भूल पाएगा चीन

ट्रम्प

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन और चीनी कंपनियों के खिलाफ लिए गए एक्शन का असर अब दिखाई देने लगा है। चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने कई ऑर्डर पारित लिए थे जिनके लागू होने का समय अब आ चुका है। इस 11 जनवरी से वह कार्यकारी आदेश जिसमें चीनी कंपनियों में अमेरिकी कंपनियों के निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लागू होने वाला है। इसी के मद्देनजर कई अमेरिकी कंपनियों ने चीनी कंपनियों में अपने हिस्से को बेचना शुरू कर दिया है। SCMP की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सबसे बड़ी Money Manager कंपनी BlackRock ने तीन चीनी दूरसंचार कंपनियों में अपने हिस्से को बेचने की तैयारी में है।

BlackRock ने चीन मोबाइल, चाइना टेलीकॉम और चाइना यूनिकॉम में से अपनी हिस्सेदारी कम की है। उन चीनी कंपनियों में सबसे बड़े निवेशकों में से एक, BlackRock नवंबर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जारी उस कार्यकारी आदेश का पालन करने के लिए ऐसा कर रहा है, जिसमें अमेरिकी व्यक्तियों को चीन की सेना के स्वामित्व या नियंत्रण में समझी जाने वाली कंपनियों में निवेश से रोक दिया गया था।

ट्रम्प प्रशासन ने चीन के खिलाफ आर्थिक युद्ध को गंभीर बनाने के लिए चीनी कपनियों को अमेरिकी पूंजी और प्रौद्योगिकी की पहुंच देने से रोकने के लिए यह कदम उठाया था। इस आदेश के बाद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज को भी चीनी दूरसंचार कंपनियों को डिलिस्ट करना पड़ा।

प्रतिबंध से प्रभावित चीनी कंपनियों को MSCI, S & P Dow Jones Indices और FTSE Russell द्वारा संचालित सूचकांकों से भी हटाया जा रहा है। हालांकि, चीन ने प्रतिबंधों का अनुपालन करने वाले व्यक्तियों या कंपनियों को दंडित करने के लिए नियमों का एक नया सेट लागू करके अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब देने की कोशिश की है।

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, BlackRock बुधवार के रूप में 7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चीन टेलीकॉम शेयरों का दूसरा सबसे बड़ा होल्डर था। शुक्रवार तक चीन मोबाइल और चाइना यूनिकॉम के शेयरों में इसका 0.2 फीसदी हिस्सा था।

सिर्फ यही नहीं बल्कि अन्य फंड मैनेजर भी ट्रम्प के आदेश का पालन करने के लिए दौड़ रहे हैं। Wheaton, इलिनोइस स्थित First Trust ने सोमवार को कई कंपनियों के उनके पोर्टफोलियो से हटा देने का ऐलान किया।

Goldman Sachs, Morgan Stanley और JPMorgan ने भी हाल ही में हाँग-काँग से 500 से अधिक उत्पादों को डिलिस्ट करने की योजना बनाई है। इस तरह के अनुबंधों के लिए हाँग-काँग शहर दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है, जिनमें से 12,000 से अधिक उत्पाद मौजूद हैं। स्टेट स्ट्रीट ग्लोबल एडवाइजर्स एशिया भी अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण अब उन कंपनियों में नया निवेश नहीं करेगी है। यानि देखा जाए तो अब ट्रम्प द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का परिणाम सामने आने लगा है और अमेरिकी कंपनियाँ चीनी कंपनियों से अपने निवेश को या तो कम कर रहीं है या समाप्त करने की योजना पर काम कर रहीं हैं।

बता दें कि ट्रम्प ने नवंबर में इस तरह के आदेश पर हस्ताक्षर किए थे जिससे चीनी कंपनियों को अमेरिकी तकनीक और डॉलर के इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके। इस ऑर्डर का लक्ष्य अमेरिकी निवेशकों के पैसे को बीजिंग के अपने सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों को तेज़ करने से रोकना था।

यह आदेश शुरू में 31 कंपनियों पर लागू हुआ था, जिसे फिर बढ़ा कर 35 कर दिया गया। इसमें कई कई निजी कंपनियां हैं जिनका वॉल स्ट्रीट से बेहद कम संबंध है, लेकिन कुछ के पास NYSE में सूचीबद्ध अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीदें हैं। इनमें तीन बड़े चीनी टेलिकॉम कैरियर शामिल हैं, साथ ही ऑयल-एंड-गैस ड्रिलर Cnooc लिमिटेड नाम की कंपनी भी है, जिसे दिसंबर में ब्लैकलिस्ट में जोड़ा गया था।

बता दें कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने 2017 के बाद से 200 से अधिक कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, जो कि पिछले तीन राष्ट्रपतियों की तुलना में कहीं अधिक। इन आदेशों में अधिकतर चीन के खिलाफ अमेरिका की स्थिति मजबूत करने के लिए किए गए कार्यक्रम थे।

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