वैसे तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, 2020 के बिहार चुनाव को अपना आखिरी चुनाव और ताजा कार्यकाल को अपना अंतिम कार्यकाल घोषित कर चुके हैं लेकिन लगता है कि जाते-जाते वो BJP की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ा जाएंगे l हाल ही में नीतीश कुमार ने ऐलान किया है कि,“यदि किसी व्यक्ति ने बिहार सरकार के विरोध में सोश्ल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट किया, तो उसे सीधा जेल भेज दिया जाएगा।”
यानि अब बिहार में नीतीश सरकार पर सोश्ल मीडिया के जरिये न ही कोई कटाक्ष किया जा सकता है और न ही उनकी अलोचना की जा सकती है । सत्ता के घमंड में मुख्यमंत्री जी, भारत को शायद चीन बनाना चाहते है जहां कोई सरकार के खिलाफ कुछ बोल न सके और इस फैसले के कारण अब ये भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार अब तानाशाही पर उतर आए हैं l
बिहार में लगभग 3 करोड़ और 93 लाख इंटरनेट उपभोक्ता हैं व राज्य में 6 करोड़ और 21 लाख से अधिक मोबाइल उपभोक्ता हैं। राज्य की जनसंख्या को देखते हुए ये बहुत बड़ा फैसला है। जारी की गई अधिसूचना में IG नैय्यर हसनैन खान के हस्ताक्षर हैं। IG खान ने इसके संदर्भ में ट्विटर पर कहा कि कुछ व्यक्ति और संगठन सरकार, राज्य के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और यहां तक कि राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि, “ऐसे पोस्ट स्पष्ट रूप से निर्धारित कानून के खिलाफ हैं और साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं। राज्य सरकार ने लोगों से ऐसे पोस्ट को रिपोर्ट करने का अनुरोध किया है। साथ ही कहा गया है कि पोस्ट का विधिवत सत्यापन करने के बाद दोषी व्यक्ति / संगठन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
पूरे मुद्दे पर बवाल मचने के बाद नीतीश कुमार ने स्पष्टीकरण देकर कहा कि, केवल सकारात्मक आलोचना की जा सकती है और उसपर कोई रोक नही है लेकिन प्रश्न ये है कि कौन तय करेगा कि आलोचना सकारात्मक है या नकारात्मक? साथ ही सोचने वाली बात है कि, एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र में अगर सरकार के विरोध में आपत्ति दर्ज कराना, उसके मंत्रियों की कार्यशैली की आलोचना करना निर्धारित कानून के खिलाफ है तो नीतीश कुमार किस-किसको और कब तक जेल में डालेंगे?