‘शिवसेना के खिलाफ मैदान में कांग्रेस’, महाविकास अघाड़ी की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है

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PC: Business Standard

महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार और उनके गठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। गठबंधन के घटक दल शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस तीनों ही अपनी- अपनी विचारधारा के अनुसार अपनी गाड़ी चला रहे हैं जिसके चलते अघाड़ी गठबंधन खतरे में दिखाई दे रहा। आए दिन एनसीपी और कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने नेता कुछ जमीनी मुद्दों पर बंद कमरों में नहीं, बल्कि खुलेआम बयान देकर अपने गठबंधन को मुसीबत में डालते हुए शिवसेना पर हमला बोलते रहते हैं। ताजा मामला एनसीपी नेता और कैबिनेट मंत्री जितेन्द्र अवध से जुड़ा है जो कि शिवसेना विधायक के सामने ही सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते नजर आए।

दरअसल, महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता जितेंद्र अवध ने हाल ही में दबे मुंह ठाणे के कल्याण में सड़कों की खराब हालत को लेकर शिवसेना को जिम्मेदार ठहराया और पार्टी पर हमला बोल दिया है। उन्होंने कहा, “कल्याण की सड़कों की हालत पूरे महाराष्ट्र में सबसे खराब है। खास बात ये है कि एनसीपी नेता ने अपने भाषण में खराब सड़क का उल्लेख किया, तब उस वक्त मंच पर स्थानीय शिवसेना विधायक विश्वनाथ मौजूद थे, स्थानीय स्तर पर कहें तो इसे शिवसेना का गढ़ माना जाता है, और कांग्रेस एनसीपी इस क्षेत्र को कवर करना चाहती है।

इसके अलावा औरंगाबाद के नाम को संभाजी नगर करने के मुद्दे पर भी शिवसेना और दोनों अन्य दलों के बीच तकरार की स्थिति है। सीएम उद्धव ठाकरे ने इसको लेकर साफ कहा, यदि किसी को क्रूर एवं धर्मांध मुगल शासक औरंगजेब प्रिय लगता है तो इसे धर्मनिरपेक्षता नहीं कहा जा सकता है। वहीं, इस मुद्दे पर कांग्रेस मुखरता से जवाब देते हुए शिवसेना पर हमला बोल रही है। कांग्रेस का कहना है कि शिवसेना इस मुद्दे पर भाजपा की तरह ही नाम बदलने की राजनीति कर रही है। वहीं, कांग्रेस ने यहां तक कह दिया है कि शिवसेना को अपने पिछले 5 साल के कार्यकाल का हिसाब देना चाहिए, क्योंकि वो बीजेपी के साथ सत्ता में थी।

हालांकि, इसको लेकर कांग्रेस नेता और कैबिनेट मंत्री बालासाहब थोराट का कहना है कि ये तीनों ही पार्टियों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत काम कर रही हैं,  इसलिए गठबंधन पर कोई आंच नहीं आने वाली है। इसी तरह एनसीपी और शिवसेना के नेता भी गठबंधन खट-पट के सवालों पर चुप्पी साध लेते है लेकिन ये लोग अपने-अपने वोट बैंक को साधन में लगे हैं जिससे राजनीति भी चलती रहे और सरकार भी।

हाल ही बीएमसी के साथ ठाणे और औरंगाबाद समेत कई नगर निगमों पर चुनाव होने हैं। इसलिए ये सभी पार्टियां अपने वोट बैंक के चक्कर में एक दूसरे में को ही बेइज्ज़त करने में जुटी हैं। इस पूरे प्रकरण में गठबंधन की फूट सामने आ रही है। बीएमसी चुनावों को लेकर भी कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना के बीच कोई सामंजस्य नहीं है। शिवसेना के लिए बीजेपी के रहते अकेले बीएमसी चुनाव जीत पाना नामुमकिन प्रतीत होता है इसलिए वो अपने हिन्दुत्व के मुद्दे को आगे बढ़ा रही है जिसमें उसे एनसीपी और कांग्रेस का साथ तो नहीं ही मिल रहा है बल्कि विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सामंजस्य की कमियों को देखकर ये कहा जा सकता है कि नगर निगम चुनावों के चक्कर में ये तीनों ही पार्टियां एक दूसरे की लानत-मलामत करने में जुट गई हैं और इसके चलते तीनों के लिए एजेंडा विहीन गठबंधन चलाना मुश्किल हो रहा है और सामंजस्य की यही कमी इस गठबंधन को ले डूबेगी।

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