पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की नीतियों पर हमला बोलते हुए अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने घुसपैठियों को अमेरिकी नागरिकता देने का फैसला कर लिया है। इसके साथ ही जेंडर की अवधारण को भी खत्म करने के लिए उन्होंने कानून बना दिया है जिसके तहत अब खेलों में gender की अवधारणा नहीं होगी। बाइडन के ये फैसले इस बात का संकेत देते हैं कि अमेरिका में घोर वामपंथ ने अपने पांव पसार लिए हैं जो कि आने वाले समय में अमेरिका के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के पहले सप्ताह में एक फैसला लिया जिसके तहत समाज में जेंडर के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को खत्म करने की बात कही गई है। मुख्य रूप से ये कहा गया है कि उनका ये फैसला खेलों में महिलाओं और पुरुषों के बीच होने वाले भेदभाव को खत्म कर देगा, और ये दोनों को ही इस मामले में समान अधिकार देता है।
इस आदेश के तहत बच्चों को किसी भी तरह के रेस्ट रूम, लॉकर रूम और स्कूल के खेलों में जेंडर के आधार पर खेलने से वंचित नहीं किया जाएगा। साथ ही कोई भी लड़का, लड़की की टीम में और लड़की लड़के की टीम में स्वतंत्रता से खेल सकती है।
असल में ये उन सभी महिलाओं का अपमान है जो अपने लिए एक सुरक्षित स्थान होने के लिए संघर्षरत रही हैं। बाइडन ने बिना सोचे समझे ट्रांसजेंडर्स की बेतुकी मांगों के दबाव में आकर ये फैसला ले लिया है, जबकि इसके लिए किसी भी तरह की वैज्ञानिकी या रिसर्च से जुड़ी सलाह ली ही नहीं गई थी। इस मामले में अब ये कहा जाने लगा है कि अभी तक महिलाओं को लेकर अलग श्रेणियां थीं, जिसके चलते समान क्षमता के आधार पर खेल खेले जाते थे और एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती थी लेकिन अब वो सब खत्म गया है।
बाइडन के इस एक फैसले ने नारीवाद के नाम पर चल रहे अनेकों आंदोलनों को अपूर्णीय क्षति पहुंचाई है, और वो उन सभी आंदोलनकारी महिलाओं के दोषी हैं। बाइडन ने आते ही केवल यही एक विवादित फैसला नहीं लिया है बल्कि वो अब अमेरिका में विदेशी और प्रवासी जैसे शब्दों को हटाना चाहते हैं। इसीलिए अब उन्होंने अपने एक हस्ताक्षर के जरिए ये तय किया है कि अब 11 मिलियन प्रवासी लोगों को अमेरिका की नागरिकता आसानी से मिल जाएगी। उनका ये फैसला असल में अमेरिका की नागरिकता और उसकी महत्वता का अपमान है। कोरोनावावयरस के कारण पहले ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है, लेकिन अब बाइडन का ये घोर वामपंथी विचारधारा वाला फैसला अमेरिका के लिए एक बड़ी आर्थिक मुसीबत का सबब होने वाला है।
जेंडर से जुड़ी अवधारणा को खत्म कर बाइडन ने एक तरफ महिलाओं के साथ ज्यादती की है, तो दूसरी ओर गैर-अमेरिकियों को नागिरकता देकर अपने देश की अर्थव्यवस्था से लेकर सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाला है। बाइडन का वक्त रहते ये समझने की आवश्यकता है कि उनके इन दोनों ही फैसलों से अमेरिका का सामाजिक ताना-बाना बिगड़ सकता है, जिसके जिम्मेदार वही होंगे।