Biden का ट्रम्प की इजराइल नीति पलटना मिडिल ईस्ट को फिर से अस्थिर कर देगा

अमेरिका ईरान

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पद संभालते ही अपनी आगामी इज़रायल-नीति को लेकर बड़े संकेत दिये हैं। उनके राष्ट्रपति बनते ही अमेरिका के इज़रायली दूतावास वाले ट्विटर अकाउंट का नाम बदलकर उसमे West Bank और Gaza का नाम भी अलग से अंकित कर दिया गया, जो दर्शाता है कि राष्ट्रपति बाइडन अपनी middle east रणनीति के तहत फिलिस्तीन के नेतृत्व के पक्ष में कई बड़े फैसले ले सकते हैं। हालांकि, विवाद बढ़ता देख बाद में ट्विटर अकाउंट के नाम से West Bank और Gaza शब्द हटा लिए गए! बाइडन ईरान को वापस न्यूक्लियर समझौते में शामिल करने के भी संकेत दे चुके हैं, जिसका इज़रायल कड़ा विरोध करता रहा है। पिछले चार सालों में जिस प्रकार डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी middle east नीति के तहत ईरान को ठिकाने लगाकर क्षेत्र में शांति स्थापित करने की कोशिश की थी, उसमें अब बाइडन बड़े बदलाव कर सकते हैं, जो क्षेत्र में दोबारा बड़ा विवाद पैदा करने की क्षमता रखता है।

ट्रम्प के कार्यकाल के आखिरी चंद महीने पश्चिमी एशिया में शांति स्थापना की दृष्टि से बेहद सफल रहे हैं। इज़रायल और अरब देशों के बीच साइन किए गए Abraham Accords से लेकर क़तर संकट का खात्मा, सब ने क्षेत्र में शांति स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके अलावा ट्रम्प प्रशासन ने शांति स्थापना के लिए ईरान पर बेहद आक्रामकता के साथ कार्रवाई की है। ईरान पर बेहद कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाकर और कमांडर सुलेमानी की हत्या कर अमेरिका पहले ही ईरान और उसके लड़ाकों के हौसलों को घुटनों पर ला चुका है। अब चूंकि, बाइडन दोबारा इज़रायल और अरब देशों की चिंताओं को परे रखते हुए ईरान के साथ एक समझौता कर सकते हैं, यह क्षेत्र में अमेरिकी साथियों के बीच अविश्वास की भावना पैदा कर सकता है।

ट्रम्प के चार सालों के दौरान अमेरिका ने इज़रायल के पक्ष में ही अपनी middle east की नीति को आगे बढ़ाया था। अमेरिकी दूतावास को यरूशलम स्थानांतरित करने से लेकर फिलिस्तीनी प्रशासन की सभी प्रकार की आर्थिक सहायता खत्म करने तक, ट्रम्प प्रशासन ने खुलकर नेतनयाहू सरकार को अपना समर्थन दिया था। यही कारण था कि इज़रायल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्रम्प के लिए 20 जनवरी को आखिरी संदेश दिया गया, जिसमें इज़रायली सरकार ने उनके अप्रत्याशित समर्थन के लिए ट्रम्प का धन्यवाद किया!

इज़रायल ने बाइडन प्रशासन को पहले ही धमकी दे दी है कि अगर बाइडन प्रशासन इज़रायल के हितों को नकार कर ईरान के साथ कोई भी समझौता पक्का करता है, तो इससे इज़रायल-अमेरिका के रिश्तों में बड़ा तनाव देखने को मिल सकता है। एक वरिष्ठ इज़रायली अधिकारी के मुताबिक “अगर बाइडन ईरान पर ओबामा (ईरान न्यूक्लियर डील) का रास्ता अपनाते हैं, तो हमारा अमेरिका के साथ वार्ता करने का कोई आधार ही नहीं बचेगा।”

ईरान एक कमजोर बाइडन प्रशासन को अमेरिका में पाकर अब अमेरिका की middle east नीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। ईरान पहले ही अपनी न्यूक्लियर फैसिलिटी में Uranium enrichment को 20 प्रतिशत तक ले जाने की बात कह चुका है। ऐसे में बाइडन पर ईरान हद से ज़्यादा हावी होकर middle east की नीतियों को प्रभावित कर अमेरिकी साथियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। ट्रम्प ने जिस प्रकार इज़रायल के साथ मिलकर सीरिया से ईरानी प्रभाव को खत्म करने में अपनी भूमिका निभाई और क्षेत्र से आतंकी संगठन ISIS का नाम मिटा दिया, उसके बाद middle east में काफी हद तक शांति स्थापित हुई है। अब बाइडन अपनी नई और विवादित नीतियों के सहारे पिछले चार सालों में ट्रम्प के किए कराये पर पानी फेरने की क्षमता रखते हैं। ऑफिस में उनके पहले दिन के दौरान ही इसके संकेत देखने को मिल गए हैं।

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