झारखंड के राजस्व मंत्री का चौंकाने वाला बयान, “बिहारियों और मारवाड़ियों को आने की अनुमति नहीं”

झारखंड में अब बिहारी और मारवाड़ी लोगो की कोई जगह नहीं?

भारत की राजनीती में फुट डालो और राज करो की मानसिकता भरी हुई है और समय-समय पर यह बहार आती रहती है। इसी क्रम में झारखंड के वित्त मंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने एक ऐसा ही विवादित बयान दिया है। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा है कि, “रांची की जमीन दूसरे लोगों के हाथों में चली गयी है। रांची में बिहार के लोग और मारवाड़ी लोग आ कर भर गए हैं। इससे आदिवासी कमजोर हो गए हैं। इस कारण उनका शोषण हो रहा है।“

हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित महुआ कांफ्रेंस में रामेश्वर उरांव ने कहा कि “आज रांची की जमीन बाहरी लोगों के हाथों में चली गई है, कभी रांची में आदिवासियों का निवास था। शहर के अंदर बसे कई प्रमुख टोला-बस्ती समेत कई इलाको का नाम उन्हीं के द्वारा दिया गया है। अब वे इलाके उसी नाम के साथ मौजूद तो हैं, लेकिन अब वहां आदिवासी नहीं रहते हैं।“

उन्होंने आगे कहा, “झारखंड में आदिवासियों के कमजोर होने की वजह से आदिवासियों का शोषण हो रहा है। जनजातीय सामुदायिक व्यवस्था समाप्त हो रही है। शहरों से आदिवासी हटते जा रहें हैं। शहरीकरण में आदिवासी कमजोर हो गए हैं। सरकार के स्तर से आदिवासियों की मदद के लिए प्रयास हो रहा है। राज्य में अगर वन कानून का सही तरीके से पालन हो तो गांव के लोगों को कभी भी आर्थिक तंगी नहीं होगी और न ही उन्हें काम की तलाश में दूसरे स्थान पर जाने की जरूरत होगी। झारखंड में जंगल जनजातीय समाज की वजह से बचा  है।“

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव की इस तरह बिहारी व मारवाड़ी समाज के संदर्भ में की गई टिप्पणी से झारखण्ड के राजनितिक गलियारों में उफान आ गया है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की ही है, साथी ही सत्ता पक्ष भी उनसे खफा नजर आ रहा है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने रामेश्वर उरांव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “संविधान की शपथ खाने वाले आज उसकी अवमानना कर रहे हैं। फूट डालो और राज करो यह कांग्रेस की पुरानी रीति नीति है। यह इनके डीएनए में शामिल है जिसकी अभिव्यक्ति प्रदेश अध्यक्ष के मुंह से हुई है।“

हालाँकि झारखण्ड पहले बिहार का ही एक भाग था, ऐसे में बिहार के लोगों को बाहरी कहने से कांग्रेस अध्यक्ष की मानसिकता का ही प्रदर्शन होता है। यही नहीं झारखण्ड की अर्थव्यवस्था में बिहारी और मारवाड़ी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, चाहे वो व्यावसायिक हो या फिर इंडस्ट्रियल काम ही क्यों न हो। एक तरफ रांची के व्यावसायिक उत्थान में मारवाड़ी समुदाय का योगदान है तो वहीं प्रशासन में बिहारीयों का योगदान है। आज राँची को देश के सबसे उभरते हुए शहरों में एक माना जता है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का यह बयान न सर्फ अशोभनीय है बल्कि देश के संविधान का मजाक उड़ाता है।

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