कई दिनों तक WHO को ठेंगे पर रखने के बाद अब चीन ने उन्हे अपने देश का दौरा करने और वुहान वायरस के स्त्रोतों की जांच पड़ताल करने की स्वीकृति दे दी है। गुरुवार से WHO की टीम को चीन आने की स्वीकृति मिल चुकी है।
अब आप भी सोचेंगे कि सूरज किस दिशा में उगा है? लेकिन यह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं है बल्कि चीन की ही एक चाल है। दरअसल, अभी हाल ही में ग्राउन्ड जीरो यानि वुहान में स्थित Wuhan Institute of Virology में CCP द्वारा कई अहम रिसर्च स्टडीज़ के पन्नों को हटवाया गया है, जिनसे वुहान वायरस की उत्पत्ति के बारे में कुछ पता लगाया जा सकता था।
चमगादड़ों पर शोध करने वाली ‘Batwoman’ शी झेंगली के शोध को भी इस कार्रवाई में डिलीट कर दिया गया। जिन भी शोधों में वुहान वायरस के उत्पत्ति के संबंध चीन से जताए जाने का अंदेशा है , वो भी गायब हो चुके हैं, जिसके बारे में डेली मेल ने अभी रिपोर्ट भी किया है।
जब WHO चीन पधारेगा, तो उनके एक्सपर्ट अपने चीनी समकक्षों से भी मिलेंगे। लेकिन यदि इन चीनी मेडिकल विशेषज्ञों में CCP के कर्मचारी निकले तो कोई हैरान नहीं होगा। इसके अलावा जिस प्रकार से चीनी WHO के कर्मचारियों को इतने महीनों से घुसने से रोक रहे थे, लेकिन अब उनके सुर बदल चुके हैं, जिससे अब यह शक स्वाभाविक है कि इतने दिनों से चीन वुहान वायरस के चीन से जुड़े तारों के सबूत मिटाने की जद्दोजहद में लगा हुआ था।
बता दें कि वुहान शहर के वेट मार्केट से सर्वप्रथम ये वायरस उत्पन्न हुआ था, जिसके पहले मामले नवंबर 2019 में दिखने शुरू हुए थे। लेकिन नवंबर से लेके फरवरी के बीच में चीन ने हर उस खबर को दबाने का प्रयास किया, जिसमें वुहान वायरस की भयावहता स्पष्ट दिखती थी। लेकिन जब ये वायरस फरवरी माह से नियंत्रण से बाहर होने लगा, तो ये स्पष्ट हो चुका था कि चीन अपने एजेंडे में बुरी तरह फेल हुआ है। अब जब WHO की टीम दौरा करेगी, तो चीन ने पहले से ही ऐसे प्रबंध कर रखे हैं, जिससे उसे बिना किसी संदेह के क्लीन चिट मिल जाए, और उसकी छवि में सुधार हो।