WHO ने चीन को खुश करने के लिए, भारत के नक्शे में से जम्मू-कश्मीर को ही अलग कर दिया, लोगों ने जताई आपत्ति!

WHO की दादागिरी अब नहीं चलेगी

अगर आपको यह लग रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने अब चीन की चापलूसी करना बंद कर दिया है, तो आप बहुत बड़े भ्रम में हैं। चीन की चाटुकारिता करने वाले WHO ने अब चीन को खुश करने के लिए एक बार फिर से भारत के खिलाफ अपना एजेंडा जाहीर कर दिया है। WHO ने अपनी वेबसाइट पर एक बार फिर से भारत के नक्शे के साथ खिलवाड़ करते हुए जम्मू-कश्मीर को एक अलग रंग से दिखा कर देश की संप्रभुता पर हमला किया है।

दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन की वेबसाइट पर भारत के एक नक्शा में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी तरह से अलग-अलग रंग में दिखाया गया है जिस पर कई लोगों ने नाराजगी प्रकट की है।

 

भारत का यह नक्शा Covid-19 के लिए बनाए गए डैशबोर्ड पर है जो वहाँ के एक्टिव मामलों की जानकारी दिखाता है। इस नक्शे में पूरे भारत का रंग नीला दिखाया गया है, तो वहीं जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को ग्रे रंग में चिह्नित किया गया है जैसे कि वे एक अलग देश हैं। यही नहीं अक्साई चिन के विवादित सीमा क्षेत्र को ग्रे के साथ नीली धारियों में दिखाया गया है जो चीन के रंग से मिलता है।

हालांकि कई लोगों द्वारा आपत्ति जताने के बाद भी WHO नहीं माना और यह सफाई दी की उसने संयुक्त राष्ट्र के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मानचित्रों को दर्शाया है। बता दें कि पिछले वर्ष अप्रैल में भी WHO ने इसी तरह की हिमाकत की थी और अपनी वेबसाइट पर एक मानचित्र प्रकाशित किया था जिसमें भारत के लद्दाख के अक्साई चिन हिस्से को चीन का हिस्सा दिखाया गया। इतना ही नहीं, WHO के इस मानचित्र में भारत के अन्य हिस्सों और जम्मू-कश्मीर राज्य को अलग-अलग रंगों से भरकर दिखाया गया था।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना पर पहले ही चीन की तरफदारी करने के आरोप झेल रहे WHO का यह कदम भी चीन को खुश करने के लिए ही उठाया गया होगा।

 

भारत को इसके लिए WHO की ना सिर्फ कड़ी निंदा करनी चाहिए बल्कि इसकी जांच भी की जानी चाहिए। WHO पर पहले ही कोरोना के मामले पर चीन का पक्ष लेने के आरोप लग चुके हैं, और इसी कारण से अमेरिका भी WHO की फंडिंग रोक चुका है। अब भारत को भी WHO को सबक सिखाने की ज़रूरत है। जिस तरह से पिछले वर्ष भारत सरकार ने ट्विटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैक को ट्विटर पर जम्मू और कश्मीर तथा और लेह को चीन के हिस्से के रूप में दिखाए जाने के बाद सख्त चेतावनी दी थी उसी तरह अब WHO के खिलाफ कदम उठाना आवश्यक हो चुका है।

भारत की संप्रभुता पर इस तरह बार-बार हमला करना अब WHO की आदत बनती जा रही है। ऐसा लगता है कि WHO पर दबाव बना कर चीन किसी भी तरह विवाद पैदा करना चाहता है जिससे भारत भड़क जाए। कोरोना के समय भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन द्वारा अपनाया गया एक भी हथकंडा सफल नहीं हुआ है और अब वह WHO के माध्यम से भारत की संप्रभुता पर हमला कर रहा है।

महामारी के दौरान, चीन के साथ मिलीभगत का आरोप झेल रहे WHO ने जिस तरह से चीन के आगे बेबसी दिखाई उससे यह कहना बिल्कुल गलत नहीं है कि भारत को अब WHO के खिलाफ अंतराष्ट्रीए स्तर पर अभियान शुरू करनी चाहिए।

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