CJI बोबडे ने प्रशांत भूषण सहित किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों को सुनाई खरी-खोटी

किसान आंदोलन के संबंध में सुनवाई के दौरान कोर्ट से गैरहाजिर थे ये सभी न्याय के रखवाले

प्रशांत

किसान आंदोलन को लेकर एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है तो दूसरी ओर कोर्ट किसान यूनियन के वकीलों पर भड़क गया है। सीजेआई ने चारों वकीलों के रवैए पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ये लोग कोर्ट के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही ढंग से नहीं कर रहे हैं। खास बात ये है चारों वकील दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कॉलिन गोंसाल्विस और एचएस फूलका को सुनवाई के दिन कोर्ट में पेश होना था लेकिन ये लोग कोर्ट गए ही नहीं।

दरअसल, इन चारों वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि दुष्यंत दवे के नेतृत्व में किसान के यूनियन से बात कर कमेटी बनाने के मुद्दे पर किसानों की प्रतिक्रिया जानेंगे और फिर कोर्ट को उनके पक्ष की जानकारी देंगे। खास बात ये है कि ये चारों वकील किसान यूनियन की तरफ से केस भी लड़ रहे हैं, लेकिन ये लोग मंगलवार की महत्वपूर्ण सुनाई के दौरान कोर्ट ही नहीं पहुंचे हैं। जिस पर चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े काफी भड़क गए हैं।

बोबड़े ने वरिष्ठ वकीलों दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कॉलिन गोंसाल्विस और एचएस फूलका को कोर्ट के नियमों का पालन न करने के कारण घेर लिया और उनके रवैए की आलोचना कर दी। उन्होंने कहा, “बार के सदस्य, जो पहले अदालत के अधिकारी हैं और फिर अपने मुवक्किलों के वकील हैं, उनसे कुछ वफादारी (अदालत की ओर) दिखाने की उम्मीद की जाती है। आप अदालत के सामने तब हाजिर होंगे जब यह आपके अनुरूप होगा और यदि नहीं होता है तो आप नहीं आएंगे। आप ऐसा नहीं कर सकते हैं।”

सुप्रीम कोर्ट के जज दुष्यंत दवे से सबसे ज्यादा खफा है क्योंकि उन्होंने ये भरोसा दिया था  कि किसान 26 जनवरी को कोई ट्रैक्टर रैली नहीं निकालेंगे, लेकिन अब किसान मुकर गए हैं। ऐसे मे अब सीजेआई ने किसानों के आंदोलन को और बातचीत न करने के रवैए को लेकर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, “यदि आप (किसान) समस्या को हल करना चाहते हैं, तो आप इसे बातचीत करके हल कर सकते हैं। अन्यथा, आप वर्षों तक आंदोलन कर सकते हैं।”

ये बेहद ही दिलचस्प बात है कि किसानों ने जिस तरह के वकीलों की फौज खड़ी की है ,वो भी सरकार विरोधी एजेंडा चलाने में माहिर हैं। प्रशांत भूषण कोर्ट की अवमानना के मुद्दे पर एक रुपए की तुच्ची जमानत पर छोड़े गए हैं, बाकी सभी की प्रतिष्ठा भी कुछ ऐसी ही है। ये सभी वकील क्यों चाहेंगे कि मामला हल हो, इसलिए केस और पेचीदा होता जा रहा है।

ऐसे में इन सभी वकीलों के रवैए और कर्त्तव्यपरायणता के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें लताड़ कर एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि असल में ये लोग कितने ज्यादा अराजकतावादी हैं क्योंकि ये मु्द्दों को सुलझाने से ज्यादा उलझाकर रखने में यकीन करते हैं।

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