शिवराज सिंह चौहान ने अपने 2018 के MP चुनावों में की गई गलती से सीख लेते हुए सवर्णों की ओर भी साथ के लिए हाथ बढ़ाया है

CM चौहान ने अपनी रणनीति में किया बदलाव

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 2018 के चुनावों के बाद एक नया ही रुख सामने रहा है। शिवराज अब पहले से ज्यादा आक्रमक नीति पर चल रहे हैं जो कि उनकी परंपरागत छवि से बिल्कुल ही अलग है। शिवराज ने ऐलान किया है कि अब राज्य में पिछड़ा वर्ग आयोग की तरह ही एक आर्थिक आधार पर एक सवर्ण आयोग भी बनाया जाएगा।

शिवराज के इस बयान के मायने निकाले जाने लगे हैं और अचानक ये बयान क्यों आया इसके पीछे की वजहों का भी विश्लेषण होने लगा है क्योंकि राज्य में निकाय चुनाव काफी नजदीक हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि शिवराज अपनी तीन साल पुरानी गलती को सुधार रहे हैं।

शिवराज ने पिछड़ो को लेकर तो हमेशा ही अपनी आवाज उठाई है लेकिन अब वो सवर्णों के लिए भी सकारात्मक बयानबाजी करने लगे हैं और वो केवल बयान ही नहीं दे रहे हैं बल्कि उन सभी मुद्दों पर सख्ती से काम भी कर रहे है। ऐसे ही मध्य प्रदेश के रीवा में अब शिवराज ने कहा है कि राज्य मे जल्द ही आर्थिक आधार पर सवर्णों के लिए भी उनकी बात रखने वाला सवर्ण आयोग बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा, “हर वर्ग का संतुलित विकास करने का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसलिए समाज के हर वर्ग का कल्याण करते हुए हमारी सरकार आगे बढ़ेगी। समाज के सभी वर्गों का यह हक है कि सभी को समान आधिकार मिलना चाहिए। इसलिए मध्य प्रदेश में सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए सवर्ण आयोग बनाया जाएगा। आखिर इस वर्ग को भी सबके समान अधिकार पाने का हक है।”

शिवराज सवर्णों को लेकर अब निकाय चुनाव में अपनी नीति बदल रहे हैं। उन्होंने राज्य के सवर्णों की दयनीय स्थिति का संज्ञान लिया है और उन्हें भी बराबर हक देने की बात कही है। शिवराज ने कहा, “सवर्ण वर्ग को लोगों को हर योजना का लाभ मिले इसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है। इसलिए जिस तरह प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक आयोग पहले से बना हुआ है। जिसके तहत इन वर्गों के लोगों को सभी लाभ दिए जाते हैं l लेकिन सामान्य वर्ग के निर्धनों को भी सभी लाभ मिल सके। यही वजह है कि हमने सवर्ण आयोग बनाने का फैसला किया है।”

शिवराज ने सवर्णों को लेकर इस तरह का बयान दिया और इसके पीछे की रणनीति सामने आ गई। याद कीजिए 2018 में शिवराज सिंह ने एससी-एसटी एक्ट के आंदोलनों के दौरान कहा था कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन देश से आरक्षण को खत्म नहीं किया जा सकता है। इस बयान के बाद मध्य-प्रदेश की 22 प्रतिशत जनता शिवराज के खिलाफ भड़क गई थी।

इस पूरे प्रकरण के बाद हुए विधानसभा चुनाव में सवर्ण वोटबैंक बड़ी मात्रा में बीजेपी से नाराज होकर छिटक गया था। चुनाव नतीजों के बाद ये सामने आया था कि केवल 12 हजार के करीब वोटों से ही बीजेपी विधानसभा चुनाव हारी थी। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान का आरक्षण के पक्ष में बयान देना बीजेपी के लिए घातक साबित हुआ था।

आरक्षण के मुद्दे पर सवर्णों को नाराज करके शिवराज ने एक बड़ी मुसीबत मोल ली थी। विधानसभा चुनाव के बाद सिंधिया के आने से मध्य प्रदेश में सरकार तो बन गई, लेकिन अब मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में शिवराज अपनी गलती को सुधारने के लिए ही राज्य में सवर्ण आयोग बनाने की बात कर रहे हैं, जिससे निकाय चुनाव में सफलता के साथ ही अपना जनाधार मजबूत किया जा सके।

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