2021 के आगमन के साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प का सत्ता से जाना लगभग तय है, परंतु जिस प्रकार से उनके पार्टी में उनके विरोधी उनके साथ विश्वासघात कर रहे हैं, उससे यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि अमेरिका में एक बार फिर से डीप स्टेट सक्रिय हो चुका है।
यह अनुमान इसलिए है क्योंकि हाल ही में अमेरिकी सीनेट [अमेरिका की राज्य सभा] ने डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा 740 बिलियन डॉलर मूल्य के रक्षा नीति को वीटो करने के निर्णय को ध्वस्त किया है। मजे की बात यह है कि अमेरिकी सीनेट में डोनाल्ड ट्रम्प के पार्टी रिपब्लिकन के सांसदों की ही भरमार है, और तब ये निर्णय लिया गया है –
लेकिन इस विधेयक में ऐसा भी क्या था, जिसके कारण ट्रम्प इतना भड़क गए थे? इस बिल में कहने को कई निर्णय ऐसे थे जो अमेरिकी सैन्य क्षमता को बढ़ावा देते, और इसमें सांसद राजा कृष्णमूर्ति के कहने पर भारत समर्थक संशोधन भी शामिल किए गए थे। लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प को इस बात से आपत्ति थी कि इसमें न तो चीन विरोधी अधिनियमों को बढ़ावा दिया गया, और न ही मीडिया को उनकी मनमानी करने से रोकने के लिए कोई प्रावधान दिया गया है, जिसके कारण ये बिल राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा वीटो किया गया था।
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब रिपब्लिकन सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रम्प के ही नीतियों का विरोध किया था। जब ट्रम्प प्रशासन ने चीनी मूल के वुहान वायरस के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई हेतु एक वित्तीय सहायता विधेयक का समर्थन किया था, तो कई रिपब्लिकन सांसदों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि यह सहायता बकवास है, और यह जरूरी नहीं है, क्योंकि यह राजकोष पर अनचाहा बोझ डालेगी।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि रिपब्लिकन के भेस में डीप स्टेट के जो नुमाइंदे छुपे हुए थे, वे सभी अब बाहर आ चुके हैं, और उन्होंने ट्रम्प के सत्ता से निकलने की संभावना पे ही अपनी मनमानी करनी शुरू कर दी है। यदि यही हाल रहा, तो अमेरिका की व्यवस्था अब रामभरोसे ही हैं।