केवल दीप सिद्धू ही नहीं,योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत जैसे फर्जी किसानों पर भी होनी चाहिए बड़ी कार्रवाई

तिरंगे का अपमान करने वाले हर दोषी पर हो कभी न भूलने वाली कार्रवाई!

दीप सिद्धू

किसान आंदोलन के दौरान गणतन्त्र दिवस को ‘लठतंत्र दिवस’ के रूप में बदलने में यदि सबसे बड़ी किसी की भूमिका रही तो वह नाम है मशहूर पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू का। ऐसा कहा जा रहा है कि दीप सिद्धू ने ही किसान आंदोलन को लाल किला की तरफ मोड़ने को लेकर उकसाया, अब मामला किसान आंदोलन में कुछ इस तरह हो गया है कि देश को अस्थिर करने वाले फर्जी किसान अब अपने सारे आरोपों को एक व्यक्ति के ऊपर डालकर देश को बर्बाद करने वाले कलंक से खुद का पीछा छुड़ाना चाहते हैं, परंतु अब यह इतना भी आसान नहीं होने वाला है।

कौन है दीप सिद्धू, जिसके ऊपर लगे हैं आंदोलन को भड़काने के आरोप?

दीप सिद्धू पंजाबी फिल्मों का अभिनेता हैं और कहने को सामाजिक कार्यकर्ता भी। दीप ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत पंजाबी फिल्म रमता जोगी से की थी, जिसे लेकर कहा जाता है कि इसके निर्माता धर्मेंद्र हैं। 17 जनवरी को सिख फॉर जस्टिस से जुड़े केस के सिलसिले में एनआईए ने सिद्धू को तलब भी किया था।

दीप सिद्धू ने पहले भी देश तोड़ने वाले कई बयान दिये हैं, जिसको लेकर यह NIA के रडार पर भी है। अभी वर्तमान में काँग्रेस और किसान नेताओं ने यह बयान देना शुरू कर दिया है कि क्योंकि वह भाजपा सांसद सन्नी देओल के चुनाव प्रचार में उनके साथ था, इसलिए वह भाजपाई है और जानबूझकर किसानों को भड़का कर दिल्ली की ओर ले गया, जिससे आंदोलन भंग हो जाए।

परंतु फर्जी किसानों ने कुछ सवालों के जवाब अब तक नहीं दिये हैं कि जब देश विरोधी नारे लग रहे थे और आंदोलन में देश के प्रधानमंत्री के मरने की कामनाएँ की जा रही थी उस वक़्त आंदोलन किस ओर जा रहा था? दीप सिद्धू आंदोलन में पिछले कई दिनों से शामिल था तो फिर उसकी भाजपाई पहचान अब क्यों सामने लाई जा रही है? अब तक उसे हीरो क्यों बनाया जा रहा था? जब आंदोलन के दौरान दंगे शुरू हुए तो कोई भी किसान नेता क्यों नहीं सामने आकर इसका विरोध किया? योगेंद्र यादव जैसे मौसमी किसान को ये कहने में दोपहर के 3:30 क्यों बज गए कि आंदोलन गलत रास्ते पर है?

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जाहिर सी बात है कि इन सवालों के जवाब इन फर्जी किसानों के पास हो ही नहीं सकते हैं। दरअसल, दंगा फैलाने और खालिस्तानियों द्वारा देश को अस्थिर करने की साजिश कई दिनों से चल रही थी जिसे साकार करने के लिए 26 जनवरी के दिन को चुना गया था। किसान नेता अब भली-भांति जान गए हैं कि उनके इस फर्जी आंदोलन की पोल अब खुल गयी है,  इसलिए इन लोगों ने एक नया रास्ता चुना है कि सारे आरोपों को दीप सिद्धू के ऊपर डालकर हम खुद बच जाए, परंतु 800 पुलिस वालों को घायल करने और लोकतन्त्र को तार-तार करने की सज़ा इतनी कम नहीं हो सकती है।

दीप सिद्धू ने जो किया है उसके लिए उसपर तमाम कार्रवाई होनी चाहिए परंतु इसका संबंध भाजपा के साथ डालकर जो लोग बचना चाहते हैं, उनपर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस देश में इतना मासूम कोई नहीं है जिसे ये समझ में न आए कि यह कोई तत्वरित भड़काऊ दंगा नहीं था बल्कि इसे जानबूझकर साजिश के तहत देश को अस्थिर करने के उद्देश्य से भड़काया गया था। देश को बर्बादी की तरफ ढकेलने की कोशिश करने वाले हर दंगाई पर कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसी कार्रवाई होनी चाहिए जो देश के सामने एक मिसाल के रूप में सामने आए।

आज आवश्यकता है कि योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत जैसे देश विरोधी नेताओं के ऊपर सबसे बड़ी कार्रवाई हो क्योंकि ये वो लोग हैं जिन्होने न सिर्फ पूरे देश में किसानों के नाम को बदनाम किया है बल्कि किसानों के साथ एक धोखा भी किया है और गणतन्त्र दिवस के अवसर पर पूरे विश्व में देश को कलंकित करने की साजिश रची है।

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