लाल किले पर हमले के बाद से ‘किसान आंदोलन’ को चलाने वाले अब बगलें झांक रहे हैं। कोई जाति की आड़ में घड़ियाली आँसू बहा रहा है, तो कोई एक दूसरे पर ही ठीकरा फोड़ रहा है। लेकिन शायद ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकता को बढ़ावा दे रहे वामपंथियों के अब बुरे दिन जल्द ही आने वाले हैं, क्योंकि जिस दीप सिद्धू को उन्होंने बलि का बकरा बनाने का प्रयास किया था, अब वही दीप सिद्धू उन लोगों की पोल खोलने के लिए आगे आ सकता है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर लाल किले पर हमला करने वालों में शामिल दीप सिद्धू पिछले कई दिनों से भूमिगत है। इसी बीच एक और लाइव वीडियो में दीप सिद्धू ने कहा है कि वे सरकारी एजेंसियों की जांच में सहयोग करने के लिए पूरी तरह तैयार है, बस एक दो दिन की मोहलत चाहिए।
फ़ेसबुक अकाउंट से लाइव स्ट्रीम किए गए वीडियो के अनुसार, दीप सिद्धू कहते हैं, “मेरे खिलाफ जो लुक आउट नोटिस जारी हुआ है, मैं उसकी जांच में जरूर शामिल होऊँगा। मैंने कुछ गलत नहीं किया है, मेरे पास कुछ भी छुपाने के लिए नहीं है। मुझे बस एक-दो दिन का वक्त चाहिए, ताकि वो सच निकाल सकूँ। मेरे बारे में लगातार झूठ फैलाया जा रहा है, ऐसे में सच इकट्ठा करना जरूरी है। जो मेरे ऊपर केस लगाए गए हैं, मैं उनको लेकर अपने सबूत पेश करूंगा।”
इतना ही नहीं, कई खालिस्तानी समर्थक भी दीप सिद्धू के बचाव में आगे आए हैं, जिनके अनुसार दीप ने कोई भी काम बिना ‘किसान आंदोलन’ के प्रमुख नेताओं की सहमति से नहीं किया। बगीचा सिंह नामक समर्थक ने बताया कि अन्य किसान नेता अब सिर्फ अपने आप को जवाबदेही से बचाने के लिए दीप सिद्धू को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। जब किसान नेता ट्रैक्टर रैली की नींव रख रहे थे, तो किसी ने भी लाल किले पर झण्डा फहराए जाने का विरोध नहीं किया था।
बता दें कि पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू लंबे वक्त से किसान आंदोलन से जुड़ा रहा है। वह कट्टर खालिस्तानी समर्थक भी रहा है, और वह उस ट्रैक्टर रैली का भी हिस्सा था, जिसपर गणतंत्र दिवस के दिन निकली ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर काफी हिंसा करने का आरोप लगा है। दीप सिद्धू पर आरोप है कि उसने लोगों को झंडा फहराने के लिए उकसाया, जिसके संबंध में एक वीडियो भी सामने आया है। इसी के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से दीप सिद्धू और लक्खा सदाना के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
लेकिन इस बीच किसान आंदोलन से जुड़े अराजकतावादियों ने न केवल दीप सिद्धू से किनारा किया, बल्कि उसे भाजपा का एजेंट भी सिद्ध करने का प्रयास किया। इसी पर भड़कते हुए दीप सिद्धू ने दो दिन पहले फ़ेसबुक पर एक लाइव वीडियो किया, जिसमें वह कहता है, “मुझे जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। अगर मैंने अंदर की बातें खोलनी शुरू कर दीं तो इन नेताओं को भागने की राह नहीं मिलेगी। इस बात को सिर्फ डायलॉग न समझें, मेरे पास हर बात की दलील है।”
दीप सिद्धू ने विपक्षी नेताओं और किसान आंदोलन के कथित नेताओं के दावों को बुरी तरह ध्वस्त करते हुए कहा, “ मैं गद्दार नहीं हूँ और मैंने लोगों को लाल किले तक नहीं पहुँचाया। यह जनता का निर्णय था जो पंजाब से विरोध करने के लिए सभी तरह से आया था। कोई भी उनका नेतृत्व नहीं कर रहा था। किसान संगठनों के नेता जिन्होंने मुझे देशद्रोही कहा, उन्हें शर्म आनी चाहिए क्योंकि वे सरकार की बोली बोल रहे हैं।”
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि दीप सिद्धू वाकई में आत्मसमर्पण के लिए तैयार है, तो ये ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकता फैला रहे वामपंथियों के लिए खतरे की घंटी है। अपने आप को बचाने के लिए जिस दीप सिद्धू को वह बलि का बकरा बनाना चाहते थे, वही दीप सिद्धू अब उनकी पोल खोलने के लिए पूरी तरह तैयार है।