क्या अमेरिका और चीन के बीच एक गुप्त बैठक हुई है?

अगर ये सच है तो ये वैश्विक स्तर पर गंभीर बदलाव के संकेत है!

अमेरिका

चीनी सरकारी मीडिया आउटलेट ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका और चीनी सेना ने मंगलवार और बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये एक मीटिंग में हिस्सा लिया। हालांकि, रिपोर्ट लिखे जाने तक चीनी मीडिया के अतिरिक्त किसी अन्य मीडिया आउटलेट द्वारा खबर की पुष्टि नहीं कि गई, किंतु चीनी सरकार के सबसे प्रमुख ‘प्रोपोगेंडा टूल’ ग्लोबल टाइम्स द्वारा ऐसी चौकाने वाली खबर आना बड़ी महत्वपूर्ण बात है।

हाल ही में प्रमुख अमेरिकी अखबार The Wall Street Journal ने भी एक रिपोर्ट में बताया था कि अमेरिका और चीन के उच्चाधिकारियों के बीच जल्द ही मीटिंग होने की संभावना है। ऐसे में ग्लोबल टाइम्स की खबर को सिरे से खारिज करने का कोई कारण नहीं मिलता। यदि ऐसा है तो यह अमेरिका की नीति में व्यापक और तेज बदलाव की ओर इशारा करता है।

हाल ही में में चीन ने अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान स्ट्रेट में भेजा था। चीन की ओर से शनिवार को 13 और रविवार को 15 लड़ाकू विमान ताइवान की ओर भेजे गए, जो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन के लिए एक संदेश था। जहाँ एक ओर चीन बाइडन को उनके पदग्रहण के बाद ही एक तरह से धमकाते हुए ताइवान के संदर्भ में शक्ति प्रदर्शन कर रहा है, वहीं बाइडन अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को चीन के हाथों बेचने को आमादा दिख रहे हैं।

बाइडन ने आते ही चीन के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव किए। सबसे पहले तो उनके आते ही ऐसी चीनी कंपनियों की, जिनको ट्रम्प सरकार के दौरान NYSE से डिलिस्ट किया गया था। ट्रम्प सरकार के दौरान एक नियम पारित कर यह सुनिश्चित किया गया था कि ऐसी कंपनियों को, जिनका मालिकाना हक चीनी सेना के पास है, अमेरिका से निवेश न हासिल हो सके। किंतु बाइडन 46वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार सम्भालते ही डिलिस्ट हो चुकी चीनी कंपनियों ने पुनः NYSC में स्वयं को लिस्टेड करवाने के प्रयास शुरू कर दिये।

इतना ही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगाते हुए बाइडन ने साइबर सुरक्षा को अमेरिकी विदेश मंत्रालय की policy issue की सूची से हटा दिया है। ट्रम्प प्रशासन ने चीनी टेलीकॉम कंपनी हुवावे और ZTE को अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा माना था। किंतु बाइडन साइबर सुरक्षा को लेकर जिसप्रकार असंवेदनशील हैं, इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिका में दोनों चीनी टेलीकॉम कंपनियों की वापसी हो सकती है।

दरअसल, बाइडन द्वारा यह प्रचारित धारणा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान और कोरोना के बाद, दुनिया के पुनर्निर्माण में अमेरिका चीन सहयोग अपरिहार्य है। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि चीन ही कोरोना की बर्बादी का कारण है, संकट के इस समय में भी वह अपना भूराजनैतिक हित साधने में लगा है और वह आज लोकतांत्रिक समाजों के लिए एक खतरा बन गया है। ऐसे में बाइडन चीन से सहयोग कर कैसे विश्व का निर्माण करना चाहते हैं।

खुद के देश में, स्वयं को लोकतंत्र का मसीहा दिखाने वाले बाइडन का चीन से सहयोग करना हास्यास्पद और दुखद है। बाइडन की नीतियों में इतना विरोधाभास है कि यह धारणा सत्य दिख रही है कि, उनके बेटे हंटर बाइडन के आर्थिक हित, राष्ट्रपति जो बाइडन को चीन की ओर झुकने पर मजबूर कर रहे हैं। यदि यह सत्य है कि चीन और अमेरिका की सेनाओं में बैठक हुई है, वो भी ऐसे समय में जब चीन खुलेआम ताइवान के अस्तित्व को चुनौती दे रहा है, तो यह लोकतांत्रिक विश्व के लिए एक चिंताजनक बात है।

 

Exit mobile version