कहते हैं उतने ही पाँव पसारें, जितनी लंबी चादर हो। लेकिन शायद ये बात दिलजीत दोसांझ को समझ में नहीं आई है, और अब उनके काले धंधों का पर्दाफाश करने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है।
अभी हाल ही में न्यायिक एनजीओ लीगल राइट्स ऑब्ज़र्वेटरी यानि LRO की याचिका का संज्ञान लेते हुए आयकर विभाग ने दिलजीत दोसांझ के विरुद्ध कार्रवाई को अपनी स्वीकृति दे दी है –
Acting on #LRO complaint based on @vijaygajera research, @IncomeTaxIndia launches tax evasion inquiry. Fund flow in crores from UK/ Canada to #FarmersProtests under scanner. @diljitdosanjh NGO n @officeofssbadal address is same @AmitShah @PMOIndia @PIBHomeAffairs @PIB_India ++ pic.twitter.com/GY1k9kzUtW
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) January 2, 2021
पर दिलजीत ने ऐसा क्या किया कि आयकर विभाग को ऐसा रुख अख्तियार करने पर विवश होना पड़ा? दरअसल गृह मंत्रालय और संबंधित जांच एजेंसियों के समक्ष दायर याचिका के अनुसार LRO ग्रुप ने आरोप लगाया है कि दिलजीत दोसांझ और उनके मैनेजर संदीप सिंह खाख की देखरेख में 50 से ज्यादा शेल कंपनी [वो कंपनी जो सिर्फ नाम के लिए हैं] हैं, जिनके जरिए ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकतावादियों और उग्रवादियों को बढ़ावा देते आ रहे हैं।
जांचकर्ता विजय पटेल की जांच पड़ताल और अनुसंधान के अनुसार LRO ने कहा कि धर्म सेवा रिकॉर्ड्स, धरम सेवा लिमिटेड, फेमस एसटीडी लिमिटेड, स्पीड यूके रेकॉर्ड्स लिमिटेड, बिलडेज लिमिटेड, आत्मा टेयस लिमिटेड, फ्लेमसकी लिमिटेड, कूडोज़ म्यूजिक लिमिटेड जैसे शेल कंपनियों के जरिए यूके और कनाडा द्वारा किसानों के अधिकारों के नाम पर अराजक तत्वों को बढ़ावा देने के लिए खूब वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
बता दें कि दिलजीत ने एक महीने पहले नवंबर के अंत में प्रारंभ हुए प्रदर्शन में न सिर्फ कंगना रनौत के आरोपों के जवाब देने के चक्कर में विवादों के घेरे में आए, बल्कि सिंघू बॉर्डर पर जमे अराजकतावादियों को 1 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी दी।
LRO के अनुसार, “इन शेल कंपनियों के सदस्य भी लगभग एक ही हैं – दिलजीत दोसांझ, सुदीप सिंह खाख उर्फ काका सिंह मोहनवालिया, गुरमीत, दिनेश औलख इत्यादि। इन शेल कंपनियों की अवधि प्रारंभ होने के कुछ ही समय बाद समाप्त हो गई। इतना ही नहीं, इन कंपनियों की प्रमुख शाखा का पता और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के पार्टी हेडक्वार्टर्स का पता भी एक ही है” –
मजे की बात तो यह है कि यह सभी कंपनियां उसी खालसा ऐड की सहायक कंपनियां है, जिसने वर्तमान ‘किसान आंदोलन’ के अराजकतावादियों से लेके नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरुद्ध शाहीन बाग में सक्रिय अलगाववादी गुटों तक को बढ़ावा दिया है। इसी संगठन ने ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर खालिस्तानियों को काफी बढ़ावा दिया था, और अब दिलजीत दोसांझ के ऐसे संगठनों के साथ संबंध पाए जाने पर उनका बच पाना काफी मुश्किल दिख रहा है।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब दिलजीत अपने वित्तीय गतिविधियों के कारण विवादों के घेरे में आए हों।
2012 में उनपे और कई अन्य पंजाबी सिंगर्स पर आयकर विभाग ने आय से अधिक संपत्ति होने के मामले में छापा मारा था। इसके अलावा दिलजीत के विदेशी दौरों का प्रबंधन जिस रेहान सिद्दीकी के हाथ में था, उसके हाथ आईएसआई से भी जुड़े हुए पाए गए थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आंदोलन के नाम पर उग्रवादियों और उपद्रवियों को बढ़ावा देने के कारण अब दिलजीत की काली करतूतें भी धीरे धीरे खुलकर सामने आ रही है, और जब आयकर विभाग कार्रवाई पे जुट गया है, तो उनके लिए आगे की राह बहुत मुश्किल होने वाली है।