अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प White House में चंद दिनों के मेहमान रह गए हैं। वे अपनी हार मान चुके हैं और 20 जनवरी को सत्ता का हस्तांतरण करने की तैयारियों में जुट गए हैं। हालांकि, उनके ऊपर अभी से पहले अमेरिका के Deep State, विरोधी राजनेताओं, मीडिया और वामपंथी सोशल मीडिया ने इस प्रकार हमला बोल दिया है, जैसे कोई लक्कड़बग्घों का झुंड एक शेर पर हमला करता है।
उनका मीडिया ट्रायल अभी से पहले शुरू हो चुका है, विरोधी उनपर आरोपों की बौछार कर रहे हैं, विरोधी राजनेता उनको impeach करने की मांग कर रहे हैं तो वहीं ट्रम्प अपना पक्ष रखने के लिए जूझ रहे हैं कि क्योंकि सभी सोशल मीडिया दिग्गजों ने ट्रम्प को प्रतिबंधित कर दिया है।
अमेरिका के इतिहास में आज तक किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की ऐसी दुर्दशा नहीं देखी गयी है। शायद इन सभी लक्कड़बग्घों को पिछले चार सालों में ट्रम्प सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का बदला लेने का एक सुनहरा अवसर मिल गया हो!
6 जनवरी के दिन अमेरिका में जो कुछ भी हुआ, जिस प्रकार Capitol hill को 4 घंटों के लिए बंधक बना दिया गया, उसके लिए सभी विरोधियों के आरोपों में आज ट्रम्प को खड़ा कर दिया गया है। 6 जनवरी को अपनी “Save America” रैली में बेशक ट्रम्प ने अपने समर्थकों से Capitol hill का घेराव करने के लिए कहा था, लेकिन वहाँ जाकर हिंसा करने का विचार कभी ट्रम्प द्वारा नहीं रखा गया।
जब Capitol Hill में हिंसा हुई, उसके बाद भी ट्रम्प ने एक video संदेश जारी कर अपने समर्थकों से हिंसा नहीं करने की अपील की थी। ट्रम्प ने कहा था “’एक चुनाव हुआ, जिसे हमसे चुरा लिया गया। वह एक फ्रॉड चुनाव था और ये बात सबको पता है। ख़ासकर दूसरे पक्ष को। लेकिन अब आपको घर जाना होगा। हमें शांति बनाए रखनी है। हमें कानून व्यवस्था बनाए रखनी है। हम नहीं चाहते किसी को क्षति पहुंचे।”
इसके बावजूद Twitter, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने उनके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया। Twitter ने तो हमेशा के लिए ही ट्रम्प के अकाउंट को प्रतिबंधित कर दिया है। ट्विटर ने कारण बताया है कि उन्हें अंदेशा है कि ट्रम्प दोबारा अपने अकाउंट के माध्यम से अमेरिका में हिंसा भड़का सकते हैं। साथ ही साथ गूगल ने भी अपने आप को इस खेल का हिस्सा दिखाने के लिए अपने play store से दक्षिणपंथी Parler app को प्रतिबंधित कर दिया। ट्विटर चुनावों से पहले ही ट्रम्प के लगभग हर ट्वीट पर “विवादित ट्वीट” घोषित करने की शुरुआत कर चुका था।
इसके साथ ही उनके खिलाफ अब विरोधी राजनेता महाभियोग लाने की भी बात कर रहे हैं, ताकि उनके राजनीतिक करियर को तबाह किया जा सके! यहाँ तक कि ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी 25वें संशोधन की धारा चार के तहत अपनी ही कैबिनेट से ट्रंप को जबरन हटाने की संभावना पर विचार शुरू कर दिया हैं। हालांकि उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने ट्रंप से रिश्ते टूटने के बाद भी इस संशोधन के इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया है।
उधर, प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि यदि ट्रंप को नहीं हटाया गया तो निचला सदन उनके खिलाफ दूसरा महाभियोग लाने पर विचार करेगा।
अमेरिका की मेनस्ट्रीम मीडिया शुरू से ही उनके खिलाफ एजेंडा चलाती रही है और अब Fox News और कुछ चुनिन्दा चैनलों को छोड़ कर बाकी सभी मीडिया चैनलों ने भी उनका ट्रायल करना शुरू कर दिया है। हालांकि, सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि ट्रम्प को अब अपना पक्ष रखने का भी मौका नहीं दिया जा रहा है।
Capitol Hill में हुई हिंसा को आड़ बनाकर ये सब लोग अब अपनी राजनीतिक चमकाने मैदान में उतर चुके हैं। पिछले वर्ष जब Black Lives Matter प्रदर्शनों में जब आतंकी संगठन Antifa के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया था, तब इन मीडिया कंपनियों को ठीक इसी प्रकार का कदम उठाने का विचार नहीं आया? तब किसी के खिलाफ ऐसा एक्शन नहीं लिया गया।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आज इन सब लक्कड़बग्घों ने मिलकर अकेले ट्रम्प को घेर लिया है लेकिन ट्रम्प ने इशारों ही इशारों में वर्ष 2024 में दोबारा एक बड़ी ताकत बनकर इन्हें सबक सिखाने का मूड बना लिया है। वे पहले ही अपना खुद का Social Media प्लैटफ़ार्म लॉन्च करने की बात कह चुके हैं। इतना तो तय है कि ये सभी लक्कड़बग्घे मिलकर ट्रम्प को अधिक समय के लिए दबा कर नहीं रख पाएंगे!