पंजाब और हरियाणा के कथित किसान आंदोलन की अब पोल खुलने लगी है, और इसको लेकर सभी केंद्रीय एजेंसियों की पड़ताल के बाद सारी खबरों के पीछे का सच सामने आने लगा है कि इन किसानों के पीछे कुछ अलगाववादी संगठन ही हैं जो लगातार किसानों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। इसके चलते केंद्रीय जांच एजेंसी NIA ने खालिस्तानी आतंकियों समेत सिख फॉर जस्टिस संगठन के खिलाफ भी एक नया केस दर्ज किया है जिसमें विदेशी फंडिंग की बात कही गई है।
NIA ने किसान आंदोलन के बीच घुसे खालिस्तानी समर्थकों को टारगेट करने का मन बना लिया है। एजेंसी ने खालिस्तानी आतंकियों समेत अमेरिका स्थित सिख फॉर जस्टिस नाम के खालिस्तानी अलगाववादी संगठन के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस FIR में कहा गया है कि ये सभी भारतीय किसानों को सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर भड़काने का काम कर रहे हैं। ये FIR गृहमंत्रालय द्वारा NIA को मिली जानकारी के बाद दर्ज की गई है जिसमें मुख्य रूप से सिख फॉर जस्टिस संस्था को निशाने पर लिया गया है।
खबरों के मुताबिक कई NGO के जरिए भारत में गैरकानूनी रूप से फंडिंग हुई है, जो कि खालिस्तानी समर्थक माने जाते है। जिसके जरिए यहां लगातार सरकार विरोधी प्रोपेगैंडा और खालिस्तान को समर्थन देने वाले एजेंडे फैलाए जा सकें। इस FIR में मुख्यतः तीन खालिस्तानी समर्थक आतंकी गुरु पतवंय सिंह पुनून, परमजीत सिंह पम्मा और हरजीत सिंह निज्जर हैं। इसमें अज्ञात आतंकियों के खिलाफ चार्ज लगाए गए हैं। इस एफआईआर में कहा गया है कि एसजेएफ भारत में दंगे कराने और सरकारी संपत्तियों को नुकसान करने की प्लानिंग कर के बैठा है और लोगों को भड़का रहा है।
इसके अलावा NIA ने भी कहा कि खालिस्तानी समर्थक भारत में अस्थिरता फैलाने की साज़िश रच रहे हैं जिसकी प्रमुख नब्ज SFJ है और वो ही सारा खेल कर रही है। ये सभी आतंकी US, कनाडा, जर्मनी से भारत में खालिसतानी समर्थकों को पैसा भेज रहे हैं।
किसान का आंदोलन जिस दिन से शुरू हुआ था उस दिन से ही एसएफजे किसानों के समर्थन में आ गया था ओर उसने फंडिंग देने की बात कही थी। जिसके बाद दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बीच से अनेकों बार खालिस्तान के समर्थन में आवाज उठी है। जिसा संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने इस पूरे मुद्दे पर जांच का आदेश दिया था।
किसानों ने ऐलान कर रखा है कि वो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में पर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली का आयोजन करेगे। ऐसे में जाहिर है कि जैसे अराजकता उनकी रैली की रिहर्सल के दौरान 7 जनवरी को देखी गई थी उससे दस गुना अधिक अराजकता गणतंत्र दिवस के दिन दिखेगी।
अब इसी बिंदु को अगर एनआईए की FIR और खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता से जोड़ कर देखें तो साफ जाहिर होता है कि 26 जनवरी को किसानों का ये तथाकथित आंदोलन राजधानी में बड़ा उतापात मचाने वाला है जो कि राजधानी के लिए सुरक्षा और राष्ट्रीय सम्मान दोनों ही दृष्टि से मुश्किल हो सकता है।
ऐसे में इन खालिस्तानी समर्थकों को विदेशी फंडिंग होने की बात सामने आने के बाद एक तरफ NIA अपनी जांच को धार देने में जुट गया है तो दूसरी ओर वो लोग जो इस किसान आंदोलन को एक साधारण आंदोलन की संज्ञा दे रहे हैं उनके मुंह पर ये एक तमाचा भी है क्योंकि किसानों की आड़ में खालिस्तानी आतंकियों का असली रंग सामने आ चुका है।