वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति लगातार बेहतर होती जा रही है। ऐसे में जिस तरह से फ्रांस के खिलाफ हो रही बयानबाजी पर भारत ने फ्रांस का साथ दिया है उससे भारत और फ्रांस के रिश्ते ओर अधिक बेहतर हुए हैं। कूटनीतिक रिश्तों में अब फ्रांस भारत के साथ दो कदम आगे बढ़ना चाहता है और इसीलिए उसने भारत को पर्शियन गल्फ के खाड़ी इलाके में, नौसेना के ऑपरेशंस की निगरानी के मिशन में हिस्सा लेने का न्यौता दिया है जिसके चलते भारत की स्थिति उस महत्वपूर्ण क्षेत्र में काफी मजबूत हो सकती है।
भारत दौरे पर आए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो के कूटनीतिक सलाहकार इमैनुएल बोन ने चीन से लेकर पाकिस्तान तक पर काफी गंभीर बातें कहीं हैं। वहीं अब फ्रांस ने भारत को न्योता दिया है कि वो यूरोपीय संघ के नौसैनिक निगरानी मिशन में फ्रांस के साथ शामिल हो। इमेनुएल बोन ने कहा, “इस क्षेत्र में चीन लगातार अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है।यहां यूरोपियन यूनियन ऑपरेशंस की मॉनिटरिंग करता है। ऐसे में हम भारत को आमंत्रित करते हैं कि वो पूरी क्षमता के साथ पर्शियन गल्फ में आकर हमारा साथ दे।”
इस दौरान उन्होंने चीन के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है और उसे नियमों के पालन करने की नसीहत देते हुए कहा है, “हम चाहते है कि चीन कुछ जरूरी नियमों का पालन करे, लेकिन अगर चीन ऐसा कुछ नहीं करता है तो फिर हमें भी कुछ परिणाम निकालने ही होगे।” उन्होंने कहा, “हमें चीन का मुकाबला नहीं करना चाहिए, लेकिन हमें चीन को हमारे ही नियमों के अनुसार चलने के लिए मजबूर करना चाहिए।”
उन्होंने इस दौरान भारत चीन के बीच चल रहे गतिरोध में भारत के साथ खड़े ह़ोने की बात भी कही है।
गौरतलब है कि हाल ही फ्रांस भारत के न्योते पर Indian Ocean Rim Association का 23वां सदस्य बना है जो कि भारत और फ्रांस दोनों के लिए सकारात्मक खबर है लेकिन चीन के लिए दिक्कतों का सबब है। भारत सरक कर ने उस दौरान फ्रांस के इस कदम की सराहना भी की थी।
ऐसे में उसी तर्ज पर अब जब फ्रांस ने भारत को पर्शियन गल्फ में आने की बात कही है तो ज़ाहिर सी बात है कि भारत वहां अपनी सक्रिय मौजूदगी दर्ज करेगा।
पर्शियन गल्फ एक खाड़ी क्षेत्र है, जहां से कच्चे तेल का व्यापार सबसे अधिक होता है। यूएई से लेकर सऊदी अरब सभी देशों का तेल से संबंधित व्यापार इसी समुद्री रास्ते से होता है जो कि इस क्षेत्र को बेहद महत्वपूर्ण बना देता है। चीन वहां अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है, और चीन का बढ़ता प्रभाव किसी भी देश के लिए चिंता का सबब ही है।
ऐसे में फ्रांस द्वारा भारत को न्यौता भारत के लिए सकारात्मक है जबकि ये स्थिति चीन के लिए ख़तरनाक होगी।