जिन बिग टेक कंपनियों की कृपा से जो बाइडन सत्ता में आए, अब उनकी खबर लेने की व्यवस्था भी जो बाइडन ही करेंगे। चौंक गए क्या? लेकिन ऐसा ही होगा, क्योंकि जो बाइडन ने हाल ही में कुछ अफसरों को नियुक्त किया, जो बिग टेक कंपनियों की मनमानी की जांच पड़ताल कर आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
बता दें कि बाइडन प्रशासन ने अभी हाल ही में कई अफसरों की नियुक्ति की है, जिन्हे न सिर्फ बिग टेक कंपनियों में काम करने का अनुभव है, बल्कि इन्होंने ओबामा प्रशासन के साथ भी काम किया है, जब बाइडन उपराष्ट्रपति थे। इनमें प्रमुख है Renata Hesse, जिन्होंने 2002 से कई बार न्याय विभाग के लिए अपनी सेवाएँ दी हैं, और यह Alphabet Inc के साथ काम करने की भी अनुभवी है। Alphabet Inc वो कंपनी है जिसके पास गूगल का स्वामित्व है। इसके अलावा Hesse ने एमेजॉन को भी कई अहम समझौतों पर वित्तीय सलाह दी है।
चूंकि न्याय विभाग इन दिनों गूगल के पीछे कई कारणों से पड़ी हुई है, जिनमें प्रमुख है सर्च और ऐड्वर्टाइज़िंग में मनमानी करना, इसलिए Renata Hesse की नियुक्ति गूगल के लिए शुभ संकेत तो कतई नहीं है। परंतु बात यहीं तक सीमित नहीं है। Renata Hesse के अलावा जुआन आर्टीएगा भी नियुक्ति की होड़ में है, जिन्होंने न्याय विभाग के साथ साथ बतौर Deputy Assistant Attorney General for Civil Enforcement अपनी सेवाएँ भी दी है। इन्हे जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी जैसे बड़े टेक कंपनियों के साथ काम करने का अनुभव भी है। इनके अलावा जोनाथन कैन्टर भी रेस में है, जो बिग टेक कंपनियों, विशेषकर गूगल के धुर विरोधी हैं।
अब यदि ऐसे अधिवक्ताओं की नियुक्ति बाइडन प्रशासन में की जा रही है, तो इसका मतलब स्पष्ट है कि बिग टेक कंपनियों को बाइडन प्रशासन में कोई छूट नहीं मिलने वाली। ये अधिवक्ता कई मामलों में बड़े टेक कंपनियों के कई वित्तीय डील्स में सहायता कर चुके हैं, और वे इनकी मजबूती और कमजोरी भली भांति जानते हैं। ऐसे में बाइडन प्रशासन ने यह अप्रत्याशित निर्णय देकर इन कंपनियों को एक प्रकार से संदेश दिया है – डर रहे हो क्या? अभी तो शुरू भी नहीं हुआ है।