जैसे-जैसे पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी TMC की बौखलाहट सामने आ रही है। इसी बौखलाहट में ममता बनर्जी के नेताओं ने बंगाल की सीमा पर तैनात BSF पर आरोप लगा दिया था कि BSF के जवान लोगों को धमका रहे हैं कि वो बीजेपी को ही वोट दें। इस बेहद ही आपत्तिजनक बयान के बाद अब BSF ने करारा जवाब देते हुए कहा है कि वो BSF को राजनीति में न घसीटें, क्योंकि उसका काम केवल सीमा की सुरक्षा करना है। खास बात ये है कि ममता के लिए चुनावों में गेम चेंजर बनने वाले घुसपैठियों पर रोक लगने के बाद से ही BSF ममता के लिए दुश्मन बन गई है।
ममता दीदी के लिए विधानसभा चुनाव अब मुश्किल होते जा रहे हैं, जिसके चलते वो बेतुकी बयानबाजी पर उतारू हो गई हैं। इसी तरह का हाल ममता के नेताओं का भी है। TMC के महासचिव पार्थो चटर्जी ने BSF को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी में कहा था, “हमने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य भारत निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को बताया है कि BSF सीमावर्ती क्षेत्रों में मतदाताओं को धमका रही है। हमें इनपुट मिले हैं कि अर्धसैनिक बल के अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और गांव वालों को एक विशेष राजनीतिक पार्टी को वोट डालने के लिए कह रहे हैं। यह खतरनाक स्थिति है और चुनाव आयोग को इस पर गौर करना चाहिए।” इस मुद्दे पर बीजेपी ने BSF का अपमान करने के नाम TMC और ममता दीदी पर करारा हमला बोला था।
इस मुद्दे को राजनीतिक होता देख अब BSF ने अपना पक्ष रखा है और ममता दीदी के नेताओं को लताड़ लगा दी है। BSF ने सुरक्षा और राजनीति को अलग-अलग रखने की बात कही है। BSF डीजी पंकज के सिंह ने कहा, “ऐसी घटना और उसमें शामिल लोगों की मुझे जानकारी दीजिए, हम कार्रवाई करेंगे। अभी तक हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है। हम एक पेशेवर बल हैं और ऐसे काम नहीं करते हैं। इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने सटीक शब्दों में कह दिया है कि हमें राजनीति से जुड़े मामलों में न घसीटा जाए।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बंगाल चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में घुसपैठ की आशंका है। इसलिए उस घुसपैठ को पूरी तरह खत्म करने के लिए हमें अपना काम करने दिया जाए। बीएसएफ की उपलब्धियों के बारे में बात करें तो बीते वर्ष BSF ने बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ पर बड़ी लगाम लगाई है। ठीक उसी तरह भारत से बांग्लादेश को होने वाली गौ-तस्करी भी बिल्कुल रुक ही गई है जो इस बात का पर्याय है कि बीएसएफ अपना काम बखूबी कर रही है और यही ममता दीदी के लिए मुश्किलों का सबब बना हुआ है।
ममता दीदी बांग्लादेश से आए घुसपैठियों को सांप्रदायिकता की राजनीति करने के लिए अपना मानती हैं। उनका मानना है कि इससे उनका वोट बैंक मजबूत होता है । ऐसे में जब BSF ने सख्ती करनी शुरू कर दी है तो लाजमी है कि घुसपैठ रुकने से ममता दीदी के घुसपैठियों वाले कोटे के वोट बैंक पर बुरा असर पड़ेगा। इसलिए दीदी अब BSF को सीधा अपने निशाने पर लेने लगी हैं क्योंकि चुनावों में उनका नंबर वन दुश्मन बीजेपी नहीं बल्कि BSF बन गया है।