निधि राज़दान ने हाल ही में दावा किया कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। जिस Harvard विश्वविद्यालय की नौकरी के लिए निधि राज़दान ने ndtv तक छोड़ दिया, वो असल में धोखा निकला। लेकिन अब जो तथ्य निकल के सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि धोखा निधि के साथ नहीं, बल्कि निधि ने खुद किया है।
Harvard विश्वविद्यालय से संबंधित एक शिक्षक जोशुआ बेंटन ने ट्वीट किया, “ये तो गजब हो गया। अब आपके रिकार्ड के लिए सूचित कर दें कि Harvard में कोई स्कूल ऑफ जर्नलिस्म छोड़िए, जर्नलिस्म को समर्पित कोई विभाग या प्रोफेसर भी नहीं है। हाँ, यहाँ नीमैन फाउंडेशन के नाम से जर्नलिस्म की फेलोशिप दी जाती है, लेकिन इसके भी कोई फैकल्टी या क्लास नहीं है।”
Wow — this is awful.
For the record, @Harvard has no school of journalism, no department of journalism, and no professors of journalism.
(It does have @niemanfdn! But we have no faculty and no classes. And it does have @ShorensteinCtr, but no journalism-specific faculty.) https://t.co/AiMYkcrB6Q
— Joshua Benton (@jbenton) January 15, 2021
जोशुआ बेंटन स्वयं नीमैन फाउंडेशन के सहसंस्थापक हैं, और Harvard से उनका पुराना नाता रहा है। लेकिन वे यहीं पर नहीं रुके। उनके अनुसार, “इनको लगा होगा कि यह फैकल्टी ऑफ आर्ट्स एण्ड साइंसेस का हिस्सा बनने जा रही है। लेकिन इस फैकल्टी में भी जर्नलिस्म के लिए कोई विशेष जगह नहीं है।”
She was apparently under the impression she was joining the Faculty of Arts and Sciences (FAS), which is the main faculty (for Harvard College and the Graduate School).
FAS definitely doesn't have any journalism professors or offer any journalism degree.https://t.co/rAfdvKGLiN
— Joshua Benton (@jbenton) January 15, 2021
अब ऐसी स्थिति में एक ही बात सिद्ध हो रही है, कि निधि ने शायद Harvard का नाम गलत तरह से इस्तेमाल किया है, जिसपर संभावित मुकदमे से बचने के लिए उन्होंने ये पूरा स्वांग रचा है। अब ये बात पूरी तरह से गलत भी नहीं है, क्योंकि अगर आप Harvard विश्वविद्यालय के वेबसाइट का एक बेसिक रिसर्च भी करे, तो उनके किसी विभाग में जर्नलिज़्म का दूर दूर तक कोई उल्लेख नहीं है। निधि के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया के कई यूजर्स ने ऐसे प्रश्न किये हैं, जिससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि दाल में कुछ तो काला है।
Rahul Kanwal's brother @prateekkanwal, a harvard alumni used to invite @Nidhi to Harvard conferences. He later appointed "Prof Harvard" Nidhi on the adviser board of his highly expensive school @KautilyaSPP. Kuch to gadbad hai daya! pic.twitter.com/EgYkudVA1w
— Crime Master (@CrimeMasterV2) January 15, 2021
उदाहरण के लिए इस ट्वीट को देखिए। इस ट्विटर यूजर के अनुसार, “राहुल कँवल का भाई प्रतीक, जो Harvard से पढ़कर निकला है, निधि को Harvard के कॉन्फ्रेंस में निमंत्रण देता था। इसके बाद उन्होंने निधि को अपने खुद के कॉलेज, कौटिल्य स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के एड्वाइज़री बोर्ड में शामिल करते हुए उनका पद ‘प्रोफेसर फ्रॉम Harvard’ बताया। कुछ तो गड़बड़ है दया!”
इसके अलावा एक यूजर ने ये भी पोस्ट किया, “उसने हावर्ड की कहानी इसलिए बनाई ताकि वह भारत पर अपना प्रभाव जमा सके। अपने सूत्रों से थोड़ा रिसर्च करवाने पर मुझे पता चला कि उनपर अमेरिका में मुकदमा दर्ज किया गया है, क्योंकि उन्होंने Harvard विश्वविद्यालय का नाम बदनाम किया है। इसलिए संभव है कि वह इस ‘फिशिंग’ की घटना की रचना भी कर रही हो।”
She created Harvard story to become influential.
A quick check with my sources have revealed that things have gone wrong and she is being sued in the States for using Harvard’s name.
That’s the reason she has come up with phishing story as suggested by her attorney in States— Nick Soule 🌎 (@NickSn_Research) January 15, 2021
एक समय वो भी था, जब वामपंथियों ने गाजे बाजे के साथ प्रचार किया था कि लालू प्रसाद यादव की बड़ी पुत्री मीसा भारती ने Harvard विश्वविद्यालय में जाके लेक्चर दिया था, जो बाद में सफेद झूठ निकला। अब ऐसा लगता है कि निधि ने भी वही करने का प्रयास किया, लेकिन अपनी असफलता की संभावना से भयभीत हो उन्होंने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। ये तो वही बात हुई कि मोहल्ले में कोतवाल पूछे, ‘किसने करी चोरी?’ और निधि तपाक से बोले, ‘सर मैंने नहीं करी!’ बाकी समझदार को इशारा काफी है।