WhatsApp की नई प्राइवेसी नीति को लेकर काफी हो हल्ला मच रहा है, और भारत भी इससे अछूता नहीं है। हाल ही में केंद्र सरकार ने WhatsApp को अपने दिशा निर्देश में एक स्पष्ट चेतावनी दी है – अलग अलग देशों के लिए अलग अलग नीतियाँ नहीं चलेंगी, और यदि WhatsApp अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो केंद्र सरकार उसका हाल टिक टॉक से भी बुरा कर सकती है।
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी ने WhatsApp को एक लंबे पत्र में कहा, “विगत है कि WhatsApp की नई पॉलिसी के अनुसार यूजर के चैट का डेटा फ़ेसबुक के बिजनेस अकाउंट के साथ शेयर किया जा सकता है। इसमें हिस्सा न लेने पर यूजर के WhatsApp अकाउंट हटने का भी खतरा है। यदि ऐसा लागू होता है, तो न केवल यूजर की निजता खतरे में आएगी, बल्कि डेटा का दुरुपयोग भी होगा, जिससे राष्ट्र की सुरक्षा भी खतरे में आ सकती है”।
इसका अर्थ है कि WhatsApp यूजर्स का डेटा फ़ेसबुक क्या, भविष्य में किसी के साथ भी शेयर कर सकता है, और यदि यूजर इससे सहमत नहीं, तो उसका अकाउंट निरस्त कर दिया जाएगा। यह न केवल सरासर तानाशाही प्रतीत होता है, बल्कि ये WhatsApp की संकुचित सोच को भी दर्शाता है। जन विरोध के चलते टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एप की लोकप्रियता के बढ़ रही है, ऐसे में हाल के लिए WhatsApp ने इस नीति को मई तक के लिए स्थगित कर दिया है।
परंतु बात यहीं पर नहीं रुकती। WhatsApp की नीतियां यूरोप के लिए अलग हैं, और भारत जैसे देशों के लिए अलग। इस पर आक्रामक रुख अपनाते हुए मंत्रालय ने पत्र में आगे कहा, “यदि इस नीति को आप अपनाने को इतने ही उत्सुक है, तो या तो सबके साथ अपनाइए, या फिर किसी के ऊपर लागू मत कीजिए। यह अलग अलग देशों के लिए अलग अलग नीति नहीं चलेगी”। बता दें कि WhatsApp की नीतियां यूरोप में पर लागू नहीं होंगी।
लेकिन इस पत्र की जो सबसे महत्वपूर्ण बात थी, वह थी केंद्र सरकार की चेतावनी। उनके अनुसार, “भारत WhatsApp के लिए सबसे बड़ा यूजर बेस है, लेकिन जिस प्रकार के पक्षपाती नीतियों को WhatsApp अपना रहा है, उससे स्पष्ट है कि भारतीय नागरिकों के प्रति WhatsApp के मन में कोई सम्मान नहीं है। WhatsApp को स्मरण रहे कि सरकार के पास संवैधानिक रूप से पूर्ण अधिकार है अपने नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने का, जिससे वह पीछे नहीं हटने वाली”।
इसका मतलब स्पष्ट है, यदि WhatsApp अपने पक्षपाती नीतियों से पीछे नहीं हटा, तो केंद्र सरकार उसे टिक टॉक की शैली में समझा सकती है, यानि टिक टॉक का भारत में भारी यूजर बेस होने के बावजूद राष्ट्र हित से समझौता होने के कारण उसे प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिससे टिक टॉक को करोड़ो रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा जिस प्रकार से सिग्नल और टेलीग्राम के लिए भारतीय यूजर्स में उत्सुकता बढ़ रही है, उससे भारत को ऐसा कोई निर्णय लेने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होगी। ऐसे में WhatsApp के लिए भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है – या तो हमारी नीति से चलो,या टिक टॉक की तरह बैन होने के लिए तैयार रहो।